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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का वद्धि-क्रम ५४२ विषय , पृष्ठांक विषय पृष्ठांक योनि ५३६ अरु षिका-चिकित्सा ५६७. ५३७ वृषण कच्छू चिकित्सा आर्तव-सम्बन्धी बातें कखौरी चिकित्सा ५६८ मैथुन दारुणक-रोग चिकित्सा ५६६ गर्भाधान राजयक्ष्मा और उरःक्षतकी नाल क्या चीज़ है ? चिकित्सा ५७१ कमल किसे कहते हैं ? ५४१ यक्ष्माके निदान और कारण १७१ ५४२ पूर्वकृत पाप भी क्षयरोगके कारण हैं५७५ गर्भगर्भाशयमें किस तरह रहता है१४४ । यक्ष्मा शब्दकी निरुक्ति ५७५ बच्चा जनने में किन स्त्रियोंको कम और क्षयरोगकी सम्प्राप्ति १७६ किनको ज़ियादा कष्ट होता है ? ५४४ । क्षयके पूर्वरूप बच्चा जननेके समय स्त्रीके दर्द पूर्वरूपके बादके लक्षण ५८० क्यों चलते हैं ? ५४५ राजयक्ष्माके लक्षण ५८० इतनी तंग जगहोंमें-से बच्चा त्रिरूप क्षयके लक्षण प्रासानीसे कैसे निकल आता है? ४४५ पहला दर्जा राजयक्ष्माके लक्षण बाहर आते ही बच्चा क्यों रोता है ? ५४६ षट्रूप क्षयके लक्षण अपराके देरसे निकलने में हानि ५४६ दूसरा दर्जा प्रसूताके लिये हिदायत १४६ दोषोंकी प्रधानता-अप्रधानता २८२ क्षुद्र रोग चिकित्सा ५४८ स्थान-भेदसे दोषोंके लक्षण । ५८३ झाँई वगैरकी चिकित्सा ५४८ साध्यासाध्यत्व ५८३ मस्सोंकी चिकित्सा ५५४ साध्य लक्षण २८३ मस्से और तिलोंकी चिकित्सा ५५६ असाध्य लक्षण क्षय-रोगका अरिष्ट २८४ पलित रोग-चिकित्सा ५५८ क्षय-रोगीके जीवनकी अवधि ५८५ इन्द्रलुप्त या गंजकी चिकित्सा५६२ चिकित्सा करने योग्य क्षयरोगी ५८६ निदान-कारण निदान विशेषसे शोष विशेष १८७ स्त्रियोंको गंज रोग क्यों नहीं होता ५६२ | शोष रोगके और छ भेद ५८७ बाल लम्बे करनेके उपाय ५६६ व्यवाय शोषके लक्षण २८७ iGG iiiiii २८१ १८४ For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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