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चिकित्सा-चन्द्रोदय । भिलावेका विष नाश करनेवाले उपाय । ' (१) कसौंदीके पत्ते पीसकर लगानेसे भिलावोंका विकार शान्त हो जाता है । परीक्षित है।
(२) इमलीकी पत्तियोंका रस पीनेसे भिलावोंसे हुई खुजली और सूजन नाश हो जाती है। __(३) इमलीके बीज पीसकर खानेसे भिलावेके विकार--खुजली और सूजन आदि नाश हो जाते हैं।
(४) चिरौंजी और तिल--भैंसके दूधमें पीसकर खानेसे भिलावेकी खुजली और सूजन नाश हो जाती है ।
(५) अगर भिलावा खानेसे विकार हुआ हो, तो अखरोट खाने चाहिये।
(६) अगर भिलावोंकी धूआँ लगनेसे सूजन चढ़ आई हो, तो आमाहल्दी, साँठी चाँवल और दूबको बासी पानीमें पीसकर सूजनपर जोरसे मलो।
(७) काले तिल पीसकर सिरके और मक्खनमें मिला लो। इनके लगानेसे भिलावोंके धुएं से हुई सूजन नाश हो जायगी।
(८) घीकी मालिश करनेसे भिलावोंकी धूआँ या गन्ध आदिसे हुई सूजन या विष नष्ट हो जाते हैं ।
(६) अगर जियादा भिलावे खानेसे गरमीका बहुत ज़ोर हो जाय, तो दहीमें मिश्री मिलाकर खाओ, फौरन गरमी शान्त होगी।
(१०) अगर भिलावेका तेल शरीरपर लग जाने या पकाते समय धूआँ लग जानेसे शरीर पर सूजन, फोड़े-फुन्सी, घाव या फफोले हो जायँ, तो काले तिलोंको दूध या दहीमें पीसकर शरीरपर लेप करो अथवा जहाँ सूजन आदि हों, वहाँ लेप करो।।
(११) दही, दूध, तिल, खोपरा और चिरौंजी--भिलावेके विकारोंकी उत्तम दवा हैं। इनके सेवन करनेसे भिलावेके दोष शान्त हो जाते हैं।
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