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चिकित्सा-चन्द्रोदय । मिश्री पीसकर मिला दो। इस चूर्णको रोज़ खाकर ऊपरसे दूध पीनेसे बूढ़ा आदमी भी जवान स्त्रियोंके घमण्डको नाश कर सकता है। अगर जवान खाय, तो कहना ही क्या ? __ सफ़ेद चिरमिटी, लौंग और खिरनीके बीज, इनका पाताल-यन्त्रकी विधिसे तेल निकालकर, एक सींक-भर पानमें लगाकर, खाने और ऊपरसे छटाँक-भर गायका घी खानेसे कुछ दिनों में खूब काम-शक्ति बढ़ती और स्तम्भन होता है।
* भिलावेका वर्णन और उसके विकारों।
की शान्तिके उपाय । ****************** XXXN लावेका वृक्ष बहुत बड़ा होता है। इसके पत्ते बड़के जैसे भि और फूल लाल रंगके बड़े-बड़े होते हैं। इसके फल लम्बाई sxxx लिये गोल-गोल करौंदे या दाखके जैसे होते हैं। दाख नर्म होता है, पर भिलावेका फल कड़ा और टोपीदार होता है। फल पहले काले नहीं होते, पर सूखकर काले हो जाते हैं। परन्तु उनका रस नहीं सूखता-फलोंके ऊपरसे सूख जानेपर भी, भीतर रस बना ही रहता है । छिलकोंके नीचे तेल-जैसा पतला पदार्थ होता है, वही मुख्य गुणकारी चीज़ है। उसीका युक्ति-पूर्वक साधन करना, रसायन सेवन करना है। भिलावेके भीतर गुठली होती है। गुठलीके भीतर जो गिरी होती है, वह अत्यन्त बलकारक, बाजीकरण, वात-पित्त नाशक
और कफवर्द्धक होती है। . भिलावेका फल या तेल आगपर डालनेसे या भिलावे पकानेसे जो धूआँ होता है, वह अगर शरीरमें लग जाता है, तो सूजन और घाव कर देता है। ., भिलावेके भीतरका तरल पदार्थ अगर शरीरकी चमड़ी और
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