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विष-उपविषोंकी चिकित्सा--"धतूरा"। ७५ ले जायँगे । आप दुश्मनसे हमारा पीछा छुड़ाइयेगा ।" यह कहकर पीछेकी ओर मत देखो और चले आओ। रविवारके सबेरे ही जाकर, उसी धतूरेकी एक छोटी-सी डाली तोड़ लाओ और उसे अपनी बाँहपर बाँध लो । परमात्माकी कृपासे फिर चौथैया न आवेगा।
धतूरेकी विष-शान्ति के उपाय । आरम्भिक उपाय
(क) धतूरा खाते ही, बिना देर किये, वमन कराकर आमारायसे विषको निकाल दो।
(ख) अगर विष पक्वाशयमें पहुँच गया हो, तो जुलाब दो । (ग) शिरपर शीतल पानीकी धारा छोड़ो। (घ) बिनोलोंकी गिरी खिलाकर दूध पिलाओ।
(ङ) अगर दिमागी फितूर हो--बेहोशी आदि लक्षण हों, तो नस्य भी दो।
(१) तुषोदकमें चाँवलोंकी जड़ पीसकर और मिश्री मिलाकर पिलानेसे धतूरेका विष नाश हो जाता है । परीक्षित है।
(२) शं वाहूलीकी जड़ पानीमें पीसकर पिलानेसे धतूरेका ज़हर शान्त हो जाता है । परीक्षित है।
(३) बिनौले और कपासके फूलोंका काढ़ा पीनेसे धतूरेका जहर उतर जाता है । परीक्षित है।
(४) बैंगनके टुकड़े करके पानीमें खूब मल लो और पीओ । इससे धतूरेका विष नष्ट हो जायगा। ___नोट-अगर बैंगन न मिले तो बैंगनके पत्तों और जड़से भी काम चल सकता है। वे भी इसी तरह पीस-छानकर पिये जाते हैं।
(५) चालीस माशे बिनौलोंकी गिरी पानीमें पीसकर पीनेसे धतूरेका जहर उतर जाता है । - नोट--किसी-किसीने छै माशे बिनौलोंकी गिरी खिलाना लिखा है।
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