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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चांग | चंद्रमाकी पूजनकरै॥२९॥ फिरपरचंडएनकादीपककरेमासपर्यंत औरपवित्र होके एकाग चिनसैं कथानक. श्रवण करे॥१२॥ औरउद्यापनमै एकगौदान देना अरु शय्यादान विशेषकरके देना पीछे विधिपूर्वक होमा करके फिर ब्राह्मण भोजन करावना॥३॥औरसुवर्णकीउमामहेघरकी मूर्ति बनायके भक्तितसरवेदिपेोंदेना उद्यापनेचगांदयात्शय्यादानविशेषतः॥ब्राह्मणान् भोजयेत्पन्भातहोमरुत्वाविधानतः 3 उमामाहेश्वरंदयातकविजेभकिनसरे॥दस्पमूर्तिरुप्यस्यरोहिएगीसहिनातदार लक्ष्मीनारा ययस्यापिमूर्निकांचननिर्मितां॥यथाशक्तिविधीयाथपूजयेद्भक्तिमानरः ६५संपूजयेहिधाने ननद विधिनाचरेन्॥मंडलादीनिराजेंद्रवित्तशाव्यंनकारयेएवंयाकुरुनेनारीनरोवायनमानसः॥ औरकी रोहिणीसहिन चंद्रमाकी मूर्ति बनायना॥१४॥ औरलक्ष्मीनारायणकीमूर्तियथा शक्तिसुपर्णकीकरके भक्किसहिन पूजनकर्ना॥३५॥औरसानधानकामंडलमांडके उसकेऊपरकुंभस्थापन करकेनि || 11 नकेागेसकेविधिपूर्वकपूनादिककरनापरंतुपिचकी शान्यतानहीकरनाअर्थात् छन्द्रव्यथोडावर्चनहीकरना|| || For Private and Personal Use Only
SR No.020142
Book TitleChandrayan Vrat Katha
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages26
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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