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(८७) पाणी उदार ॥३॥ चकेवरी अजिता दुरितारि, काली महाकाली मनोहारी, अच्युता संता सारी; ज्वाला सुतारका अशोका, श्री. वत्सा घरचंडा माया, विजयोकुशी सुखदाया; पन्नति निर्वाणी अच्युता धरणी, वैरोटया दत्ता गंधारी अघारणी. अंबा पउमा सुखकरणी; सिदायिका शासन रखवाळी, कनकविजय बुध आनंदकारी, जसविनय जयकारी ॥ ४ ॥
॥ श्री अजितनाथजीनी स्तुति ॥
॥ मह उठी वंदू ॥ ए देवी॥ ॥ जब गर्भ स्वामी, पामी विजया मार ॥ जीते नित्य पीयुने, अक्ष क्रीडन हुशीयारः। तिणे नाम अजित छे,देशना अमृत धार । महा जक्ष अजिता, वीर विघन अपहार ॥१॥ इति ॥
एदेशी
॥ श्री संभवनाथजीनी स्तुति ॥
॥ शांति जिनेसर समरीये ॥ ए देशी ॥ । संभव स्वामी सेवीये, धन्य सजन दीहा। जिनगुण माला गावतां, धन्य तेहनी जीहा ॥ वयण सुगंग तरंगमा, नहाता शिवगेही ॥ त्रिमुख सुर दुरितारिका, शुभवीर सनेही ॥१॥ इति ॥
पाला गावामी सेवीये
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