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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (६८) वित्त आणीने आदरो, जिम पामो भवपार ॥ १५ ॥ जिनवर गुणमाला, पुन्गनी ए मनाला || जे शिव मुख रसाला, पामोये मूविशाला । जिम उत्तम थुणीजे, पाद तेहना नमोजे जिनरूप ममरीजे, शिव लक्ष्मी वरीजे ॥ १६॥ इति दोढसो कल्याकनुं चैत्यवंदन संपूर्ण ॥ ॥ बोजु ॥ ॥ विश्वनायक मुक्तिदायक नमि नेमि निरंजनं, हर्षधरी हरी पूछे प्रभुने भाखो आतिम हितकरं ॥ कुण दिवस एवो वरसमांहे अल्प सुकृत बहुफले, कहे नेउ जिननां हु कल्याणक मौन अग्यारमो मुखकरं ॥ १ ॥ केवळि महोजस सर्वानुभूति श्रीधर. नाथए, नमि मल्ली श्री अरनाथ स्वामी साचो शिवपुर साथए । श्री स्वयंप्रभ देवश्रुत अरहंत रदयनाथ जिनेश्वरं, कहे नेउ जिनेनां हुआ कल्याणक मौन अग्यारसो मुखकरं ॥ २ ॥ अकलंक कर्म कलक टाले. शुभकरं समरु सदा; सप्तनाथ ब्रह्मेद्र निनवर श्रीगुणनाथ नमु मुदा ॥ गांगिकनाथ श्री सांप्रति मुनिनाथ विशिष्ट अतिवर ॥ कहे० ॥ ३॥ श्रीमृदु जिनजी जगतवेत्ता व्यक्त अरिहा बीए, श्री कलासत आरण ध्याता सहज कम निकंदीए ॥ जोग "अजोगश्री परमप्रभुजी सुद्धात्तिनी केसरं ॥ कहे० ॥४॥ श्री सार्थ सकल शायक हरिभद्र अरिहंतए, मगधाधिप जिनेंद्र वंदो श्रीपबछ गुणवंतए । अक्षोभ मल्लसिंहनाथ दिनरुक् धनंद पोषद For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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