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(४९)
नाथने पांच जन्यए, पार्श्वनाथने सर्प ॥ महावीरने सिंह छे, प्रभु चोवीशे अदर्प ।। ७ ॥ सेोळे निन सोवन समाए, पद्म वामपूज्य राता ॥ मल्ली पार्थ लीलडा, आपे मुखशाता ॥ ८ ॥ चद्रमभुने मुविधि श्वत, मुनिसुव्रत नेमकाला॥ कर्म शत्रुने संहरी, परिया शिवमाळा ॥ ९॥ तरण तारण त्रिहुं लोकनाए, जिहां लगे सुरज चंद्र ।। करजोडी प्रभुने कहे, श्री नंदय सोम सुरिंद ॥ ॥१०॥ इति ॥
॥अथ तीर्थकरनी राशिनुं ॥ ॥ शांति नमी मल्लो मेष छे ॥ कुंथु अजित वृषभाति ॥ सं. भव अभिनंदन मिथुन ॥ धर्म करक सिंह मुमती ॥१॥ कन्या पद्मप्रभु नेमविर ॥ पास सूपास तुलाए ॥ शशी वृंश्चक धन रुषभदेव ।। सुविधि शोतल जिनराय ।। २ ॥ मकर सुस्त श्रेयांसने, बारमा घटपिन लोल ॥ वीमल अनंत अरनामथी । सुखोया श्री शुभवीर ॥ ३ ॥ इति ॥
॥ एकसो सित्तेर जिन चैत्यवंदन ॥ सेले जिनवर शामळा, राना त्रीश वखाणू, लीला मरकत मणिसमा. आइत्रिश गुणखाणुं ॥१॥ पीला कंचन वर्ण समा, छ. त्रीशे जिनचंद; शंख वरण सोहामj,पचाशे सुखकंद ॥२॥ सोत्तर सो जिन वंदाए ए, उत्कृष्टा समकाल; अजितनाथ वारे हुवा, बंदू
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