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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १९१) ॥ श्री अरनाथजिन स्तवन ॥ (गायजोरे गुणनी रास-ए देशी.) गायजोरे धरी उल्लास, अर जिनवर जगदीशरुरे: मानजोरे एह महंत, महियलमांहिं वालेसरुरे ॥ १ ॥ धाइयोरे दृढ करी चित्त, मनवंछित फळ पूरशेरेः वारजोरे 'अवरनी सेव, एहीज संकट चूरशेरे ॥ २ ॥ सिंचनोरे सुमतनी वेल, जिनगुण ध्याननीरे; घणुं संपजेरै समकितफूल, केवळफळ रळियामणुरे. ॥ ३ ॥ पुन्यथीरे देवीनंद, नयणे नरखो नेहथीरे; उपनोरे अति आणंद, दुख अलगां थयां जेहथीरे॥४॥शोभतीरे त्रीश धनुषनी काय, राय सुदरिशन वंशनोरे, आउखुरे जिनजी- सार, सहस चोराशा वरस-रे ।। ५॥ जिनराजनेरे करुं प्रणाम, काज सरै सवि आपणुंरेभावथीरे भगति प्रमाण, दरिशण फळ पामे घ[रे ॥६॥ सेवजोरे अरपद अरविद, जो शिवसुखनी कामनारे; राखजोरे प्रभु रदय मोझार, राम वधे जग नामनारे ॥७॥ ॥श्री मल्लीनाथजिन स्तवन ॥ (कोण भरे री जल कौण भरे दल वादलीरो पाणी कौण भरे-ए देशो.) कौन रमे चित कौन रमे, मल्लिनाथजा विना चित कौन रमे; माता प्रभावती राणी जायो, कुंभनृपतिसुत कामदमे ॥१०॥१॥ १ बीजानी, २ फतेह थाय. ३ अरनाथजीनां चरणकमळ, ४ इच्छा, ५ कामदेवने नाश करनार. For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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