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( ७ )
जन्मठाम वणारशीर, देह कनकनो वान || रुपविजय कहे साहिबा, दीये शोवरमणी दान | ३ ॥ इति ॥
॥ श्रीजु ॥
॥ गेविन छोयो चव्या, वाणारसी पुरी वास ॥ तुला - शाखा जनमिया, तप तपिया नव मास || १ || गण राक्षस बुक योनियें शोभे स्वामी सुपास ॥ सरिस तरू तलें केवली, ज्ञेय अनंत विलास ॥२॥ महानंद पदवी लहोए, पाम्या भवनो पार ॥ श्री पवीर कहे म पंचसया परिवार || ३ ॥ इति ॥
॥ श्री चंद्रप्रजजिन चैत्यवंदन ॥
॥ चंद्रम चंद्रावती, पुरि चविया वैजयंत ।। अनुराधायें जनमीया, वृश्चिक राशि महंता || १ || मृगयोनि गण देवनो, केवल विण त्रिक मास || पाभ्या नाग तरू तले, निर्मल नाण विलास ||२|| परमानंद पद पामियार, वीर कहे निरधार | साये सलूणा शोभिता, निवर एकहजार || ३ || इति ॥
॥ बीजु ॥
॥ महसेन मोटो राजीओ, सतो लखमणा राणी ॥ चंद सम उज्वल वदन कांति, जनम्यो जयकारी ॥ १ ॥ चंद्रा नयरी जेहनी, चंद लंछन कहीए ॥ चंद्र प्रभजिन आठमा, नामे गहगहोर || २ || धनुष दोढशे जोन बनुए, दश लख पूर्व आय ॥ रूपविजय प्रभु नाम थी, दीन दीन बहु सुख थाय ॥ ३ ॥ इति ॥
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