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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ९५ ) ॥ श्री केवल ज्ञाननी स्तुति ॥ || मह उठो बंदू || ए देशी ॥ ॥ छत्रत्रय चामर, तरु अशोक सुखकार || दिव्य ध्वनि दुंदुभी, भामंडल झलकार || वरसे सुर कुसुमें, सिंहासन जिन सार ॥ वंदे लक्ष्मीसूरि, केवलज्ञान उदार ॥ १ ॥ इति ॥ || वर्धमान तपनी स्तुति ॥ || वर्धमान आंबिल तप आदरो, चोबीश जिननी पूजा करो || अंतगड आगम सुणो बखाण, सिद्धाइ देवी करे कल्याण ॥ १ ॥ ( आ स्तुति चार वखत पण कहेवाय छे. > ॥ अथ श्रीसीमंधर जिन स्तुति ॥ ॥ सीमंधर स्वामी निर्मला, तुम ज्ञान उपनुं केवला || सीमं • धर स्वामी तार तार, मुज आवागमन निवार वार ॥ १ ॥ सीतेरशेो मिनवर बंदीये, जस नामें पाप निकंदीयें || सांप्रत जिन सोहे बीश सार, ते भवियण वंदो वारं वार || २ || जिनवाणी साकर सेटी, पीतां जाणे अमृत वेळडी || जिन आगम सागर सेवतां, कहो विद्या रपन से हावता || ३ || सीमंधर जिनपद अनुसरी, श्रीलं प्रत्ये बहु न करी || इनका भासा शासन सूरि, धो बंछित देवी पतंजरी ॥ ४ ॥ इति ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020138
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivnath Lumbaji
PublisherPorwal and Company
Publication Year1925
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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