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Acharya Shi
( ९२ ) ॥ श्री अरनाथजिन स्तुति ॥
॥ त्वमशुभान्यभिनंदननंदिता ॥ ए देशी ॥ ।। अर विभू रवि भूतल घोतकं, मुमनसा मनसाचित प. कजे ॥ जिनगिरा न गिरा परतारिणी, प्रणत यक्षपति वीर धारिणी ॥ १ ॥ इति ।।
॥ श्री मल्लीनाथ जिन स्तुति ॥
॥ नंदीश्वर वर द्वीप संभालं ॥ ए देशी ॥ ॥ मल्लिनाथ मुख चंद निहाल, अरिहा प्रणमी पातक टालं ॥ ज्ञानानंद विमळपुर सेर, धरण प्रिया शुभवीर कुबेर ॥ १॥ इति।।
॥ श्री मुनिसुव्रत जिन स्तुति ॥
॥ पास निणंदावामानंदा ॥ ए देशी ।। ॥ सुव्रत स्वामी आतमरामी, पुजो भवि मन रुली ॥ जिनगुण थुणीए पातक हणीए, भाव स्तवन सांकली ॥ वचनें रहीए जूठ न कहीए, टले फल वंचको ॥ वीर जिणुंपासी नरदत्ता, वरुण जिनार्च को ।। १ इति ॥
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