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|| श्री ऋषभदेव जिन चैत्यवंदन ॥ अरिहंत नमो भगवंत नमो, परमेश्वर जिनराज नमो ॥ प्रथम जिनेश्वर प्रेमे पेखत, सिद्धां सघलां काज नमो ॥ अरि० ॥ १ ॥ प्रभु पारंगत परम महोदय, अविनाशी अकलंक नमो ॥ अजर अमर अद्भुत अतिशय विधि, प्रवचन जलधि मयंक नमो ॥ || अरि० ॥ २ ॥ तिहुयण जत्रियण जणमन वंछिय, पूरण देव रसाल नमो ॥ ललि ललि पाय नमुं हुं भाले, करजोडीने त्रिकाल नमो ॥ अरि० ॥ ३ ॥ सिद्ध बुद्ध तुं जग जन सजन, नयना नंदन देव नमो ॥ सकल सुरासुर नरवर नायक, सारे अहो निश सेव नमो ॥ अरि० ||४|| तूं तीर्थंकर सुखकर साहिब, तूं निःकारण बंधु नमो ॥ शरणागत भविने हितवत्सल, तुंही कृपारस सिंधु नमो ॥ अरि० ॥ ५ ॥ केवल ज्ञाना दर्शे दर्शित, लोकालोक स्वभाव नमो ॥ नाशित सकल कलंक कलुषगण, दुरित उपद्रव भाव नमो ॥ अरि० ॥ ६ ॥ जग चिंतामणि जगगुरु जग. हित, कारक जगजन नाथ नमो ॥ घोर अपार ज.
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