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५२१ एक पदें उपवासज वीश, मास खटें एक ओली करीश, एम सिद्धांत जगीश ॥३॥ शक्ति एकासगुं तिविहार, छट्ट अट्ठम मास खमण उदार, पडिकमणा दोय वार ॥ इत्यादिक विधि गुरुगमधार, एक पद आराधन भवपार, उजमणुं विविध प्रकार ॥ मातंग जक्ष करे मनोहार, देवी सिद्धाइ शासन रखवाल, संघ विघन अपहार ॥ खिमाविजय जस उपर प्यार, शुभ भवियण धरमी आधार, वीरविजय जयकार ॥४॥ इति ॥
॥ अथ दश त्रीकनी स्तुति ॥ ॥ निसिही त्रण प्रदाक्षिणा त्रिणे, प्रणाम त्रिण करीजेजी ॥ त्रण प्रकारी पूजा करीने, अवस्था त्रिण धरीजेजी ॥ त्रण दिशि वर्जि जिनजोवो, भूमि त्रण पूजीजेजी ॥ बालंबन मुद्रा त्रण प्रणिधान, चैत्यवंदन त्रण कीजेजी ॥ १॥ पहेले भावजिन बीजे द्रव्य जिन, त्रीजे एक चैत्य धारोजी ॥ चोथे नाम जिन पांचमे, सर्व लोक चैत्य जूहारोजी ॥ विहरमान छठे जिन वंदो, सातमे नाण निहालोजी ॥ सिद्ध वीर उर्जित अष्टापद, शासन सुर संभालोजी ॥२॥ शक्रस्तवमां
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