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चालीश जस देहमी, वरष लाखनुं आय ॥१॥ शांति जिनेशर सोलमा, चक्री पंचम जाणुं ॥ कुंथुनाथ चक्री छठ्ठा, अरनाथ वखाणुं ॥ ए त्रणे चक्री सही, देखी आणंदुं ॥ संयम लेइ मुगतें गया, नित्य उठी वंदं ॥ शांति जिनेसर केवली, बेठा धर्म प्रकाशे ॥ दान शीयल तप भावना, नर सोहे अभ्यासें ॥ एह वचन जिनजी तणां, जिणे हियडे धरियां ॥ सुणतां शिवगति निर्मली, दीसे केवल वरिया ॥ ३ ॥ समेत शिखर गिरि उपरे, जइने अणसण कीg ॥ काउसग्ग मुद्रायें रह्या, तिगें मुगतिज लीधुं ॥ गरुड यक्ष समरु सदा, देवी निर्वाणी ॥ भविक जीव तुमे सांभलो, रिखभदासनी वाणी ॥ ३॥ इति ॥
॥ अथ श्री नेमनाथ जिन स्तुति ॥
॥ कनक तिलकभाले ॥ ए देशी ॥ ॥ दुरित भय निवारं, मोह विध्वंसकारं ॥ गुणबत मविकारं, प्राप्तसिद्धि मुदारं ।। जिनवर जयकारं, कर्म संक्वेश हारं, भवजल निधितारं, नौमि नेमिकुमारम् ॥ १ ॥ अड जिनवर माता, सिद्धि सौधे प्रया
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