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वर्द्धमान जिणेश्वरू ॥ निर्वाण स्तवन महिमा भवन, वीर जिननो जे भणे॥ ते लहे लिलालब्धि लच्छी, श्री गुण हर्ष वधामणे ॥२॥ इति श्री वीर निर्वाण महिमा दीपालिका स्तवन संपूर्ण ॥
॥ श्री महावीर स्वामीतुं स्तवन ॥
॥ माता मारुदेवीना नंद ॥ ए देशी ॥ ॥ मेतो हजुर रेहेशुंजी, माहारारे साहेबजी मेतो नजीक रहेगुंजी ॥ ए आंकणी ॥ साहेबनी से. वामां रहीशुं, करशुं सुख दुःख वात ॥ आण वहीने शिवसुख लेइशें, देइशुं दुरगती बार ॥ मेतो० ॥१॥ सिद्धारथ राजानो नंदन, त्रिशला देवी माय ॥ चोवीशमां जिनना गुण गाता, करशुं निर्मल गात्र ॥ ॥ मेतो० ॥२॥ च्यार पांच सात आठ हणीने, नवशु धरशुं नेह ॥ दश पोताना दोस्त करीने, एकने देशु छेह ॥ मेतो० ॥ ३ ॥ छने छंडी दोने मंडी, बोलावीशुं बार ॥ पंधर जणाना पाशमां न पडद्यु, तेरने देश्शु मार ॥ मेतो० ॥ ४ ॥ त्रण पांच सत्तावीश धरशु, बेतालीश सुविशेष ॥ तेत्रीशने चोराशी
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