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॥४॥ मातभक्ति जिनपति करे, गर्भ हाले नहि ए॥ सात मास वोली गया, माय चिंता लही ए ॥ सही अरने कहे सांभलो, कोणे मारो गर्भ हयों ए ॥ हुं भोळी जाणुं नही, फोगट प्रगट कयों ए ॥५॥ सखी कहे अरिहंत समरतां, दुःख दोहग टले ए॥ तवजिन ज्ञान प्रयुंजीयु, गर्भथी सळसळे ए ॥ माता पिता परिवार, दुःख निवारियुं ए॥ संयम न लेउं माय ताय छतां, जिन निरधारियु ए ॥ ६ ॥ अणुदीठे मोह एवडो, किम ओि खमे ए॥ नव मसवाडा उपरे, दिन साडासातमें ए ॥ चैत्रशुकल दिन तेरशे, श्री जिन जनमिया ए । सिद्धारथ भूपति भला, ओच्छव तव कीया ए ॥७॥
॥ ढाल त्रीजी ॥ ॥ वस्तु-पुत्र जन्म्यो पुत्र जन्म्यो , जगत सणगार ॥ सिद्धारथ नृप कुल तिलो, कुल मंडल कुलतणो दीवो ॥ श्री जिनधर्म पसाउले, त्रिशला देवी सुत चिरंजीवो ॥ एम आशिष दीए भली, आवी छप्पन
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