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भावस्तद्भाव नायकः ॥३॥प्रक्षीणाशेष संस्कार, विस्तार परमेश्वर ॥ नमस्ते वाक्यथातीत, त्रिलोक नर शेखर ॥ ४ ॥ भवाब्धि पतितानंत, सत्व संसार तारक ॥ घोर संसार कतार, सार्थवाह नमोस्तुते ॥५॥ इति
॥श्रीनेमिनाथ चैत्यवंदन ॥ ॥ ॐ नमो विश्वनाथाय, जन्मतो ब्रह्मचारीणे ॥ कर्मवती वनच्छेद, नमयेऽरिष्ट नेमये ॥ १॥ यदुवंश समुद्रेदु, कर्म कक्ष हुताशनः ॥ अरिष्ट नेमिर्भगवान् , भूयाध्वोऽरिष्ट नाशनः ॥ २ ॥ अनंत परमानंद, पुर्णधाम व्यवस्थितः ॥ भवंतं भवता साक्षी, पश्यतीह जनो खिल ॥३॥ स्तुवंत स्तावकं बिंब, मन्यथा कथमीदशं ॥ प्रमोदाति शयश्चित्ते, जायते भुवनातिग ॥ ४ ॥ इति ॥
॥श्री संखेश्वर पार्श्वजिन स्तोत्र ।। ॥ ॐ नमः पार्श्वनाथाय । विश्व चिंतामणीयते।। ही धरणेंद्र वैरोट्या । पद्मादेवी युतायते ॥ १॥ शांति तुष्टि महा पुष्टि । धृतिकीर्ति विधायिने ॥ ॐ ही विद व्याल वैताल । सर्वाधिव्याधिनाशने ॥ २॥
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