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३७३ पछी लीजी, चारित्र शुभ मने ॥ गुणमंजरी वरदतेजी, चारित्र पालीने ॥ विजय विमान पहोतांजी पाप प्रजालीने ॥३॥ भोगवी सुरसुख त्यांथीजी, चविया दोय सुरा ॥ पाम्या जंबु विदेहेंजी, मानव अवतार ॥ भोगवी राज्य उदाराजो, चारित्र लेसारा ॥ हवा केवलज्ञानीजी, पांम्या भवपारा ॥४॥ ॥ ढाल छठी । कोइलो पर्वत धुंधलोरे लोल ॥ ए देशी ॥
॥जगदीलर नेमीसरेरे लो, भाख्यो एह संबंध रे ॥ सोनागी लाल ॥ बारें परखदा आगलेरे लो, ए सघलो प्रबंध रे ॥ सोभा०॥ नेमीसर जिन जय करु रे लो॥१॥ ए आंकणी । पंचमी तप करवा भणीरे लो, उत्सुक थया बहु लोक रे ॥सो ॥ महा पुरुषनी देशना रेलो, ते केम होवें फोक रे ॥सो०॥ नेमी० ॥२॥ कार्तिक सुदि जे पंचमी रे लो, सोनाग्य पंचमी नामरे ॥ सो०॥ सौभाग्य लहीये एहथीरे लो, फलें मन वंछित कामरे ॥ सो० ॥ नेमी० ॥३॥ समुविजय कुल सेहरो रे लो, ब्रह्मचारी सीरदाररे ॥ सो० ॥ मो. हनगारी माननी रे लो, रुडी राजुल नारी रे ॥सो०॥
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