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Achana
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क्रिया तिहां विष गरल कही रे, इह परलोक प्रपंचरे ॥गुण०॥५॥ अन्योअन्य इदय विना रे, समुर्बिम पर होय रे ॥ मन० ॥ हेतु क्रिया विधि रागथी रे, गुण विनयीने जोय रेगुणादाअमृत क्रिया मांही जाणीये रे, दोष नहि लव लेश रे ॥मन०॥ त्रिक तजवा दोय सेववारे, योग बिंदु उपदेशरे ॥ गुण ॥७॥ क्रिया भक्ति छेदीए रे, अविधि दोष अनुबंध रे ॥ मन० ।। जिणे ते शिव कारण कहे रे, धर्म संग्रहणी प्रबंधरे ॥गुण ॥८॥ निश्चय फल केवल लगेरे, न तजीए व्यवहाररे ॥ मन० ॥ चक्री भोग पाम्या विनारे, जिम निज जोजन साररे ॥गुण ॥ए ॥ पुण्य अग्नि पातिक दहे रे, ज्ञान सेहेजे ओलखायरे मन०॥ पुण्य हेतु व्यवहार छे रे, तिणे निर्वाण उपायरे।गुण॥१०॥ भव्य एक आवर्तमां रे, क्रिया वादि सिद्धरे ॥मन०॥ जोवे तेम बीजो नहि रे, “ दशा चुर्णी " प्रसिद्ध रे ॥ गुण ॥ ११ ॥ इम जाणीने मन धरे रे, तुज शासननो रागरे ॥मन०॥ निश्चय परिणति मुनि रहेरे, व्यवहारे वड लाग रे ॥ गुण० ॥१२॥
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