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नाग भूत यक्षने कुंमधारा, आगे दोय उदारे ॥ध०॥ ते पडिमा जिनपडिमा आगे, मानु सेवा मागे ॥ध०॥ ॥ ९॥ घंट कलस भिंगार आयंसा, थाल पाइ सुपविठा रे ॥ ध० ॥ मणगुली आवाय करग प्रचंडा, चिंतारयण करमा रे ॥ध० ॥ १०॥ हय गय नर किन्नर किंपुरिसा, कंठ उरग वृष सरिखा रे ॥ ध०॥ रयण पूंज वलि फूल चंगेरी, माल्यने चूर्ण अनेरी रे ॥ध० ॥ ११ ॥ गंध वस्त्र आभरण चंगेरी, सरिसव प्रजणी केरी रे ॥ १०॥एम पुप्फादिक पडल वखाण्यां, आगे सिंहासन जाण्यां रे ॥ १०॥ १२॥ छत्र चामर आगे सुमुग्गा, तैल कुष्ट भृत जुग्गा रे॥ ध० ॥ भरीया पात्र चोयग सुविलासे, तगर एलासुचि वासे रे ॥ ५० ॥ १३ ॥ वलि हरीआलने मणसील अंजन, सवि सुगंध मनरंजन रे ॥ध०॥ ध्वजा एकसत आठ ए पूरा, साधन सर्व सनुरा रे ॥ध० ॥ १४ ॥ सूर ए पुजा साधन साये, जिनपुजा निज हाथे रे ॥ ३०॥ सिद्धायतने आप विमाने, थूभादिक बहु माने रे ॥ ॥ ध० १५ ॥ एह अपूरव दरिसण दिट्रं, सुरतरु फ
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