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के ॥ कर्पूरविजय गुरू राजनो, शिष्य पभणे हो निजमननी खंति के ॥ अनि० ॥ ८ ॥ इतिश्री नवम गुण स्थानक भास ॥
।। ढाल ।। १२ ।। देवतणी ऋद्धि भोगवी आव्यो ॥ ए देशी ॥
॥ सूक्ष्म संपराय नामे दशमुं, गुणवाणं ते जाणि ॥ चढते परिणामे ए होवे, भाख्युं जिनवर भारे ॥ मुनिवर जोज्यो हृदय विचारी ॥ ए आंकणी ॥ १ ॥ बंध को इहां सत्तर पयडी, दर्शन कहीयां चार ॥ उंच गोत्र यश नाणावरणी, अंतराय दशवारी रें ॥ मुनि० ॥ २ ॥ ए सोले पयडी इण ठाणे, बोले ते निरधार ॥ उदय कह्यो इहां साठज पयमी ॥ वेद त्रण निवारी रे ॥ मुनिं० ॥ ३ ॥ संज्वलन त्रिक ए छ पयडी, उदय नहीं इण ठाय । उदीरणा सत्तावन जाणो, सत्ता सतदुग थायरे ॥ मुनि०॥४॥ संज्वलननो लोभ अंत करे इहां, जुओ सुत्र अनुसार ॥ कर्पूरविजय पंमित सुपसाये, मणिविजय जयकाररे || मुनि ||५|| इतिश्री सुक्ष्मसंपराय गुण स्थानक भास ॥
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