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श्री चैत्यवंदनस्तुति स्तवनादि संग्रह ॥
॥ श्री पंच परमेष्टी नमस्कार स्तुति ॥
॥ शार्दूलविक्रिडित ॥ अर्हन्तो भगवन्त इंद्र महिता, सिद्धाश्च सिद्धिस्थिताः श्राचार्या जिन शासनोन्नति करा, पूज्या उपाध्यायका ॥ श्री सिद्धांत सुपाठका मुनिवरा, रत्नत्रया राधका ॥ पंचैते परमेष्ठिनः प्रतिदिनं कुर्वन्तु वो मंगलम् ॥ १ ॥
॥ अथ श्री सिद्धाचलजीनुं चैत्यवंदन ॥
॥ सिद्धाचल शिखरे चढी, ध्यानधरो जगदीश ॥ मन वच काय एकाग्रशुं नाम जपो एकवीश ॥ १ ॥ (१) शत्रुंजय गिरि दीये, (२) बाहुबली गुणधाम ! (३) मरुदेवने (४) पुंडरिक गिरि, (५) रेवतगिरि (विराम ॥ २ ॥ ( ६ ) विमलाचल (७) सिद्धराजजी, ग्राम ( ८ ) भगीरथ सार ॥ ( ९ ) सिद्धक्षेत्रने (१०)
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