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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२१ इणी परे चुगली कीध॥ इणे कोटि निधान लाधो, ते स्वामीने होय लोय ॥ नरपति पुछे शेठने, वात कहो सह कोय ॥ ४॥शेठ कहे सुणो नरपति, महारे छे पञ्चखाण ॥ स्थूल भृषावादने वली, स्थूल अदत्तादान ॥ गुरुपासे व्रत आदर्यु. ते पालं नीरमाय ॥ पिशुन वणीक कहे स्वामीए, धर्म धुतारो थाय ॥५॥ तस वचने करी तेहना, द्रव्य तणो अपहार ॥ करीने भूपति राचे, पुत्र सहित निजद्वार ॥ राजद्वारे रह्यो चिंतवे, आज लह्यो में कष्ट ॥ पण आज पंचमी तिथि तिणे, लाभ होय कोइ लष्ट ॥ ६॥ प्रातःसमे नृप देखे, खाली निज भंमार ॥ शेठ धरे मणि रत्न सु. वर्ण, भर्या श्री श्रीकार ॥ आवी वधामणी रायने, ते बिहुनी समकाल ॥ शेठ तेडी कहे नरपति, वात सुणो इण ताल ॥७॥ ॥ ढाल ॥ ६ ॥ हरणी जव चरे ललना ए देशी ॥ ॥ भूपति चमक्यो चित्तमां ललना लालहो, देखी ए अवदात व्रत इम पालीये ललना ॥ खेद लही खामे घणुं ललना, लालहो प्रश्न पुछे सुख शात ॥ ब्रत श्म पालीये ललना ॥१॥ कहो शेठ ए केम नीपन्यु For Private And Personal Use Only
SR No.020137
Book TitleChaityavandan Stuti Stavanadi Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherMaster Umedchand Raichand
Publication Year1932
Total Pages539
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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