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मेवाड विगेरे घणे ठेकाणे विचरी घणा श्रावक श्रावीकाओने बोध आपी धर्म मार्गमा जोडेला छे. तेमना शांत स्वभावथी तथा सचोट उपदेशथी तेमनी धणी शिष्याओ थयेली छे तेमना परीवारमा हाल विराजती मुख्य शिष्याओ प्रशिष्याओ गुरुणीजी महाराजश्रीमानश्रीजी रुपश्रीजी. प्रेमश्रीजी, चतुरश्रीजी. वीरश्रीजी. भावश्रीजी विगेरे ४०-५० ठाणा हाल विराजमान छे. तेओ साहेब १०-१५ वर्षथी आंखना रोगथी अपंग थया हता जेथी विशेष जावालमांज रहेता मारवाड देशमा खरो धर्मनो प्रचार को होय तो ते मोटो उपकार आ परम पूज्य मगनश्रीजी महाराजनोज छे. मारवाडी लोको धर्मना तदन अजाण होवाथी भक्षा भक्षने नहीं जाणनारा तेवाओने जावाल तेमज तेनो आजु बाजु पोते विचरीने सर्वेने उपदेश आपी घणा जीवोने धर्म मार्गमा जोडेला छे तेओ महा प्रभाविक शांतस्वभावी अने गुरुनी आज्ञामां विचरनारा हता तेओ तथा तेमनी संघाडानी बधी साध्वीओ हाल पण डेहेलाना उपाश्रयना हाल विचरता पंन्यासजी महाराजश्री धर्मविजयजीनी आज्ञामां विचरे छे आ पूज्यपाद गुरुणीजी महाराजना घणा भक्तो मारवाडमां होवाथी तेमना पगले चाली तेमनी शिष्याओमां मुख्य श्रीमान् श्रीमानश्रीजी, चतुरश्रीजी, वीरश्रीजी, प्रधानश्रीजी, चंदणश्रीजी, चंपाश्रीजी. मनोहरश्रीजी, माणक्यश्रीजी, सोहंश्रीजी, मंगलश्रीजी आदि हाल पण मारवाड तरफ विचरे छे तेमना सदुपदेशथी आ पुस्तक बहार पाडवामां आव्युं छे. तेमा मुख्य श्रीमान् मानश्रीजी महाराज ग्रह
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