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मती ए। राम
॥ १३ ॥ सासणे या
(२०) नारकी सातमी । आगला पांच बगी गया ए । सातमो पंचम नयर । चोथी आवमो नवमो तीजी नारीयें ए ॥ ११ ॥ अचल विजयनें जा । सुप्रनु सुदर्शन । आनंद नंदन सुनमती ए। रामचंग बसना । बलदेव ए नव । आठ थया तिहां सिवगती ए॥१॥ बलज ब्रह्म देव लोक । काल उत्सर्पणी । जास्यें सिव कृष्ण सासणे ए । अथवा निपुलाक नाम । तीर्थकर होस्थे । चवदमो श्म बहु श्रुत जणे ए॥ १३॥ ( ढाल) कुमरपणे प्रभु रहतां काल सुखे
गर्ने ए, ए चाल ॥ * ॥ अश्वग्रीवने तारक मेरुक बली मधु तिसा ए निशुल वलय प्रल्हाद रावण जरासिंधु जिसा ए । ए नव प्रति वासुदेव नरक गति गामिया ए।ते पिण नावि जिणेस केई प्रणमुं मुदा ए॥१४॥
(ढाल ५) सफल संसारनी॥ * ॥ .. सांतिने कुंथु अर एह नव एकही । चक्रधर तीर्थकर दोय पदवी सही। बीर वासुदेव अरिहंत नव जूजू था । देह तिण साठ पिण जीव गुण सठ श्रया ॥ १५ ॥ वासुदेव वलीय बलदेव केरा पिता । एक हीज थाय नव एण लेखे बता । तीन चक्रधर तणा मिलिय बारे टट्या । एम वेसठ ना तात इकवन मिट्या ॥ १६॥ तीन चक्रधर तणी टाल दीजे जिसे । माय सहुनी थई साठ लेखे इसे । एह नर रयण नो ध्यान नित जे धरे। तेह सुर पद खही मोद पदवी वरे॥१७॥ (कलश) श्म शुण्या तीर्थकर चक्कीसर वासुदेव बलदेव ए। प्रति वासुदेव सुसेव जेहनी करे सुर नर सेव ए । त्रेस
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