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खगई निम्माण तसादिदशुंनीमाल । सुरनर तिस्यि आऊ तित्थंकर पुण्य बायाल । तस वादर पक्रत्त पत्तेय थिरं सुन्न सोय । सुलग सुसर आइज जसें त्रस दसको होय ॥ १० ॥ नाएंतराय दसक नववीजा नीच असाय। मिल थावर दश नारगत्रिक पचवीस कसाय।तिरयंच उंग एकिंजीबिति चौरिडी तेय। कूखगई उपघा अपसत्थ वण चौनेय॥११॥ पढम संघयण विना संघयण तेम संहाण । एम वयासी प्रकृति पापतत्वनी ए जाण । पावर सुहम अपजा साहारण अधिरे गेय । असुन कुत्लग दूसर पाइजा अजस दसलेय ॥ १२॥ पणं चौपण तिय इदिकसाय अवय तिम जोग । बायालीस सेस पच्चीस क्रिया संयोग । काश्य अहिगरणीया पावसिया परिताप । प्राणातिपात श्रारंजकी परिगहियानो लाप ॥ १३॥ माया प्रत्यय मिला दंसणवत्ती तेम । अपञ्चक्खाणकी दिक पुहि पामुञ्चिय जेम । सामंतोपनवणिय नेसत्थि साहत्थै जेह । आज्ञापनकी वेयारण श्रणजोगा तेह ॥ १४ ॥ श्रणवकख पञ्चयना उवयोगी समुदाय । प्रेम ष इरियाबही किरिया ए कहिवाय।सुमति गुपति परिसह जश्वम्म नावण चारित्त । पण तिग बावीस दस बारै पण संबर तत्त ॥ १५ ॥ इरिया-नाषा एषणा सुमतीना भेद होय । आदान जंग उच्चार निक्खेवण पांचे जोय । मणगुत्ती वयगुत्ती कायगुत्ती त्रिण जाण । हिव श्रागे बावीस परीसह कईहित श्राण ॥ १६॥जुख पिपासा सीत ऊसन मांसा निरचस्थ । अरति जोषा चरिथा नैषिया सिज्जासत्त । अक्कोस वह जायण प्रसाज सेग त्रएफास । मख सकार पन्ना अन्नास
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