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(३००) सहेट्या सह्या सबला हाथ सोडा ॥ २६ ॥ दीयैकोरमा देह दोलाद वोटा । वदै वोलवांका ऊमंत कोटा । पड्या बंदि खां. महा मुःख मोटा । प्रनु नामथी वेग थायै विचूटा ॥२७॥ इति वंदि नयनिवारणं ॥नमंता जिणेसं सदा मन्न रागै। सहीये महा कुछ नय अस नागै । रली लोक लरकं लुली पाय लागै। दिसो दिस्स मांहै । जसो जस्स जागै ॥२७॥ कलश ॥ परति खजिन वर पास । आस उनासह अप्पण । विविध जासगुण वाददासचा दालदकप्पण । चैण दैण जसु चरण । ईति अति नीति निवारण । लील लाउ लख गान विमल कीरत्ति वधारण। दिणपति जेम दीपंति इति । विमलचंद मुख नविकरण । दौलत्ति विजय हरखां दीयण धरम सींह ध्यानह धरण ॥२॥ इति अष्ट नय निवारण श्री गौमी पार्श्वनाथ जीको बंद संपूर्ण ॥
॥ अथ दादाजीगगर निसानि ॥ सरस्वती माता जगतविख्याता कवियण मात कहंदाहे, कास्मीरांमंमण दुखविहंमण करवीणा सोहंदाहे, सदगुरु गुण गाउं वंचित पाउं खरतर ग सोहंदाहे, मंत्रि जिव्हागर बुधनो
आगर सदगुरु तात कहंदाहे, १ माता जैतश्री रंनाजिसमि तस कुखे गुरु उपजंदाहे, संवत तेरेसे वरसे तीसे जन्म्या सुषहो वंदाहै, सेंताले वरसे दीक्षा हरसे गुरु जिनचंद दियंदाहे, सितो होतरे पाटे श्रीसंघ बाटे धो धो ढोल धुरंदाहे, नियासिवरसे सखरे दिवसे सुरगपुरी पोचंदाहे, पुनम सोम वारे हरख अपारे मेला खूब मिलंदाहे, घस केसररोलि नरीकचोलिक स्तुरी चरचंदाहे लोबान सिलारस अंबर अगर धूप सुगंध
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