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कर नमुं मन खाय । गणधर सदुसंघ मंगलकारी नितप्रति श्राय । जन्म मरण सहु उख दूरे करो दीनदयाल । गत खरतरगुरु सश्मीप्रधानमोहन प्रतिपाल ॥१॥
॥ इति श्री त्रिनुवन मंगण सर्व जिन बिंब नमस्कार स्तवनम् ॥ . ॥ * ॥ अथ २४ जिन देह मान स्तवनं लिख्यते ॥ *॥ * ॥ प्रणमुं झपन जिनेसरपाय । धनुष पांच सै उंचीकाय । बीजो अजित जिन मुझ मन वसै । मान धनुष साढा च्यारसै ॥ १॥ तीजो संजव सुखदातार । उंची काय धनुष सो च्यार।अजिनंदन जीनसुं मनलीन । देह धनुष सो साढातीन ॥॥पंचम सुमति नाथ लगवान् ।धनुष तीनसो देहीमान । पदम प्रन्नु पूरै मनास । देह धनुष दोयसै पंचास ॥३॥सामिसुपारस सत्तम होय। देह प्रमाण धनुषसोदोय। चंजा प्रनु जिन मुक मन वसै। देह प्रमाण धनुष दोढसै ॥ ४॥ सुविधिनाथ नमिये सुविवेक । चंचप्रमाण धनुषसोएक । शीतलनाथनमें जगसवे । देह प्रमाण धनुष जसु निवे ॥ ५ ॥ श्रीश्रेयांस नमुं नबसी ऊच प्रमाण धनुष तनु असी । वास पूज्य बारम जिनचंद । मान धनुष सित्तर सुखकंद॥६॥विमल विमल गुण करि गंजीर।साठी धनुष जसु मान सरीर। अनंत ज्ञान अनंतप्रकास । देहप्रमाण धनुष पंचास ॥७॥पनरम धरमनाथ जगदीस ।मान धनुष जसु पंतासींस । शांति करण सोलम जिनशांति । देह धनुष चालीस सोनंति ॥ ७ ॥ सतरम कुंथु जिन जगदाधार । मान धनुष पत्रीस उदार । श्रर अढारम दीन दयाल । त्रीस धनुष तनु अति सुविशाल ॥ ए॥ मशिनाथ जिन उगणीसमो । मान
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