SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 169
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १५२ ) ॥ २ ॥ दस दिसी दीसे रे धन्ना, तो विन सूनी मोरा नंदन, अनुमति देतां रे जीव वहे नहीं ॥ ३ ॥ बत्तीसै नारी हो धन्ना, तहि पियारी मो० ॥ वाणी तो बोले रे मधुर सुहामणी ॥ ४ ॥ बालक तो कामणी रे धन्ना, वयपिण तरुणी मो० ॥ गजगति चाले रे चाल सुहावणी ॥ ५ ॥ ए घर मंदिर हो घन्ना, ए सुख सज्या मो० ॥ कोरु बत्ती से धननो तूं घणी ॥ ६ ॥ ए धन मांणो रे धन्ना, वय पिए जांणो मो० ॥ जोगवि ज्यो रे जोगसुहामणो ॥ ७ ॥ व्रत प्रति दोहिलो रे धन्ना, नहिय सुहेलो मो० ॥ सुगम नहीं बे रे साधु कहावणो ॥ ८ ॥ घर २ निक्षा हो धन्ना, गुरुतणी शिक्षा मो० ॥ कहणी रे रहणी नही बे सारखी ॥ ए ॥ इक वारे सुणीये हो धन्ना, आगमणीये मो० ॥ जिनवर जांणे हो डुक्कर जोग बै ॥ १० ॥ वनवास रहणो हो धन्ना, परीसह सहणो मो० ॥ कोमल केसा रे लोच करावणो ॥ ११ ॥ साचो तें जाख्यो हे अम्मा, झूठ न दाख्यो मोरी अम्मा | डुक्कर मारग जननी दाखियो ॥ १२ ॥ सुख अभिलाषी हे श्रम्मा, झूठ न आखी मोरी अम्मा ॥ कायर मारग जननी दाखियो ॥ १३ ॥ ए जग स्वारथी हे अम्मा नही परमारथि मोरी अम्मा, वीर वखाएयो परखदा सदु सुयो ॥ १४ ॥ में इस जाएयो हें अम्मा, वीर वखारयो मोरी अम्मा, ए धन जोबन आयु थिर नही || १५ || अनुमति दीजे हे अम्मा, ढील न कीजै मोरी अम्मा, जो खिल जावेसु फिर नही ॥ १६ ॥ अनु मति श्रापी हो अम्मा, जीव सुख पायो मोरी अम्मा, संजम लीधो रे मनमां गहगही ॥ १७ ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020135
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrachin Pustakoddhar Fund
PublisherPrachin Pustakoddhar Fund
Publication Year1920
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy