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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१३०) मान ॥ मुदनगरमे थापियो जी जोवो पुन्य प्रमाण ॥ जण ॥ २६ ॥ दान दियो सुपात्रने जी ते निष्फल नवि जाय॥ पात्र दांन अनुमोदता जी जीरण जिम फल थाय ॥ ज० ॥२७॥ श्म जांणी अनुमोदना जी दान सुपात्र रसाल ॥ दांन देवे सुपात्रने जी तेहने नमे मुनीमाल ॥ ज० ॥२०॥ इति श्रीवीर प्रनु पारणा संपूर्ण ॥ ॥ अथ सिद्ध पद वर्णन सज्झाय ॥ श्रीगौतमस्वामी पूग करे विनय करी शीश नमाय प्रनु जी॥अविचट थानक में सुष्यो कृपा करीमोय बताय प्रनु जी ॥ शिव पुरनगर सोहामणुं ॥१॥ श्रापकर्म अलगा करी सास्या आतम काज प्रनुजी ॥ बूटा संसारना मुख थकी रहवानो किहां गम प्रनुजी ॥ शि॥२॥ वीर कहे नई लोकमां सिशिला तणो हो गोतम ॥ स्वर्ग पुरिने उपरे तेहना बारे नाम हो गोतम ॥ शि० ॥ ३ ॥ लाख पिस्तालीस जोजना लाबी पोहली जाणहो गोतम ॥ आठ जोजन जामी विचे मे माखी पंख माण हो गोतम ॥ शि ॥४॥ उज्वलाहार मोती तणा गोञ्ध संख प्रमाण हो गोतम ॥ ते थकी उजली अतिघणी उलटो उन संगण हो गोतम ॥ शि० ॥ ५॥ अरजुन स्वर्ण शम दीपती घगरी मगरी जाणहो गोतम ॥ फटक रतन थकी निरमली सुंआली अत्यंत वखाण हो गोतम ।। शि० ॥ ६॥ मिध शिला उलंघी गया अधर रह्या सिद्ध राज हो गोतम ॥ थलोकसुं जाइ अमया सारया आतम काज हो गोतम ॥ शि०॥७॥ जनम नहीं मरणो नही नही जरा नही For Private And Personal Use Only
SR No.020135
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrachin Pustakoddhar Fund
PublisherPrachin Pustakoddhar Fund
Publication Year1920
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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