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( १३१) वस्यौ । सिव वरयो मिगसर सुदि दशमी दिण रयणि अर जिन जामीयो वलि मुगति पिण तिण दिवस पोतो व्रत ग्यारसि पांमीयो । झ्यारसैं वलि मनि जिणने जम्म दिरक सुनाणीया वलि मलि दिरका जाण बचै अंग पोसि वखाणिया॥३॥ जाः ॥ इहां कारणरे लिखित दोष संन्नावियै कइ कोरे अवर हेतु पिण नावियै ॥ ते परि सवीरे गीतारथ सद गुरु खहै श्रुत केवलीरे वचन सह सम सद्दहे ॥ सदहै सहूयै ते प्रमाण ज वलि श्यारसि निमि तणौ श्रीनाण कल्याणक चनदसि जनम संजवनों पुणौ ॥ पूनिमें संचव दिरक पामी दया धरि जगजीवनी हिव पोसवदि दसमी ग्यारस जनम दिका पासनी॥४॥ वारस तिथिरे चंदप्पह जिण जाश्यौ वलि तेरसिरे संजम रंग सुणाश्यौ । चनदस दिनरे श्रीशीतल यो केवली पोस सुदिरे बउ विमल नाणी वली ॥ नाणी वलि थयो नवमि संती अजितनाथ ग्यारसें चलदसें अभिनंदने केवल पूनिमें धम्मै वसे माहाइग्छे पलम चवियो बारसैं शीतल श्रयौ वलि तासु संजम कसिण तेरसि रिसह जिण शिवपुर गयो ॥ ५ ॥ अम्मावमिरे दिवसे नाण ग्यारमें जिन पामीरे माह सुदें हिव अनुक्रमें ॥ सित बीजेरे अभिनंदन वासु पूजनों कल्याण करे जनम गंण अनुक्रम मनों ।। अनुक्रमें मांनों बिहू त्रीजे विमल धर्म सुजामीया श्रीविमल दिरका चनधि अमि अजित उत्पति पांमिया ॥ नवमिये दिरका अजितपामी बारसें अभिनंदने श्रीधर्म नाथें सार संयम सिरवरि तेरसि दिनें ॥६॥ ला ॥ फागुण वदि उ- सुपास केवल सिरिपतो सत्तम वलि
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