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(११६) पंकज प्रणमी मुदा । वस्तु तणा कहूं काल प्रमाण । सचित्त अचित्तविधि लहै जिममाण ॥ १॥ बिहुँ ऋतु मिली चौमासा मांन । पटऋतु मिलीने वरिस प्रमाण । वर्षा शीत नष्ण त्रिण काल । त्रिहूं चौमासें वरस रसाल ॥२॥ श्रावण नाव आसू मास । काती श्म वरसाला वास । मागसिर पोस माहने फाग । ए च्यारे सीयाला लाग ॥३॥ चैत्र वैशाख, ज्येष्ट आसाढ । जष्णकाल ए च्यार अगाढ । वर्षा शरद शिशिर हेमंत । वसंत ग्रीष्म पटझतु श्म तंत ॥४॥ रांध्युं विदल रहै चन्याम । चंदन आठ पुहुर अलिराम । प्रहर सोल दधि कांजी नगन। पठे रहे तो जीव निवास ॥ ५॥ पापम लोश्या वटक प्रमाण । च्यार पदुर तिम पोलीमांन । पनर दिवस वर्षों पकवान । त्रीस दिवस सीयाला मांन ॥६॥ वीस दिवस उन्हाले रहे । पत्रे
अन्नद थाये जिन कहै । मातर प्रमुख नीवी पकवान । चलित रसे तस काल प्रमाण ॥ ॥ धांन धोवण एक प्रहर प्रमाण । त्रिफला जल उ घमीन मांन ॥ ७॥ त्रिणवारे जकलिलं जेह । सुध उष्ण जल कहिये तेह । प्रहर तीन चज पंच प्रमाण । वर्षों शीत उन्हाले जाण ॥ ए॥ श्रावण जावो दिन पंच । मिश्रलोट अण चालित संच । मिगसर पोसे त्रिण दिन जांण ।
आसूकाती चलदिनमांन ।। १०॥ माह फागुणे कह्यो पण याम । चैत्र वैशाख चन प्रहर प्रमाण । जेठ आसाढ प्रहर त्रिण जोय । तिण उपरांत सञ्चित्तते होय ॥ ११॥ गोहूं शालि षम धांन कपास । जव त्रिण वरसे अचित्त होय खास । विदल सर्व तिल तूंवरदाल ।पांच वरसे होश् अचित्त विशाल ॥१२॥
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