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(७) नविय जण आणंदणो। जिणचंद जुग परधान सदगुरु सकलचंद मुनीसरो। तसु शीश वाचक समयसुंदर लणे वंचित सुखकरो ॥ १७ ॥ इति श्री सात उपधान गजित श्री महावीर स्वामी वृक्ष स्तवनं संपूर्णम् ॥ ॥ अथ पक्खवासे तपका वृद्ध स्तवनं लिख्यते ॥
॥सीमंधर करजो मया एदेशी ॥ ॥ जंबुघीप सोहामणो । दक्षिण जरत उदार । राजग्रही नगरी जली । अलिका पुर अवतार ॥ १॥श्रीमुनिसुब्रत स्वामी जी। समरंता सुख थाय । मनवंचित फल पामी ये । दोहग दूर पुलाय ॥२॥ श्री० ॥ राजकरे तिहां राजियो। सुमित्र नरेसर नाम । पटराणी पद्मावती । शीलगुणे अजिराम ॥ श्री ॥३॥ श्रावण ऊजल पूनमें । श्रीजिनवर हरिवंश । माताकुदि सरोवरे । श्रवतरीयो रायहंस ॥ श्री ॥४॥ जेठ पढम पद अमी। जायो श्रीजिनराय । जनम महोग्व सुरकरे । त्रिनुवन हरख नमाय ॥ श्री० ॥ ५॥ शामल वरण सोहामणो । निरुपम रूप निधान । जिनवर लंबन काउबो । वीश धनुष तनु मान ॥ श्री० ॥६॥ परणी नार प्रजावती । जोग पुरंदर साम । राज लीला सुख लोगवे पूरे वंचित काम ॥श्री० ॥ ७ ॥ तब लोकांतिक देवता । आवि जंपे जयकार । प्रनु फागुण वदि वारसे लीधो संयम नार ॥ श्री० ॥ ७॥ शुल फागुण वदि बारसे । मनधर निरमल ध्यान । च्यार करम प्रनु चूरिया । पाम्यो केवल ज्ञान ॥ श्री० ॥ ए॥ ॥ ढाल २ सुखकारण भवियण समरो श्री नवकार एदेशी।।
॥ ततखिण तिहां मिलिया चलिया सुर नर कोमि । प्रजुना
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