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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३) वखाण ॥ नि०४॥ सर्वानुनूति श्रीधर दत्त जिनवर । दामो दर सुतेजा श्रीस्वामि । मुनि सुब्रत सुमति शिवगति जिन । श्री अस्ताग नेमीसरनाम ॥ ५॥ नि० ॥ अनिल यशोधर तेम कृतारथ । श्रीजिनेसर सुधमति सुजगीस । शिवकर स्पंदन संप्रतिनामें । वंदीजे जिनवर चौवीश ॥ ६॥ नि॥ ॥ ढाल ३ सफल संसारनी देशी।। ॥ जे जविस्संति अनागए कालए । तेह चौवीश प्रणमीस त्रिहुंकालए । प्रथम महाराज श्रेणिकतणो जीवए । श्री पदमनान प्रणमीस सदीवए ॥ 9 ॥ वीरनो पितरीयो नाम सुपासए । हुसी जिनबीय सूरदेव सु प्रकास ए । कोणिक सुत उदाई नरिंदए । तीसरो तेह सुपास जिणंदए ॥२॥ सिष्य श्री वीर नो पोट्टलो साधए । चोथो स्वयंप्रनु नाम आराध ए । दृढा युषजीव सिधांतमें जाणीये । पंचम सर्वानुनूति प्रमाणी ये ॥ ३ ॥ कीर्तण नाम इक जीव कहीजीये । देवश्रुत ते उणे स्वामि स सही जीये । शंख श्रावक दुस्ये उदय जिण सातमो आणंदनो जीव पेड्डाल जिण आवमो॥४॥ सुनंदनो जीवते नवम पोट्टल जिणं । शतक श्रावक शतकीर्ति दशमो नणं । देवकी जीव मुनि सुव्रत ग्यारमो । सत्यकी जीवते अमम जिण बारमो ॥ ५॥ वासुदेव जीव निकषाय जिनतेरमो । बलदेव जीव निपुखाक चवदम नमो । पनरमो निरममदेव सुलसा कही। रोहिणी जीव चित्रगुप्त सोलम सही ॥६॥ समाधि जिन सतरमो श्रविका रेवती। अढारमो शहाल जीव संबर जिनपति । दीपायन जीव यशोधर उगणीसमो । कृष्ण कोई For Private And Personal Use Only
SR No.020135
Book TitleBruhat Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrachin Pustakoddhar Fund
PublisherPrachin Pustakoddhar Fund
Publication Year1920
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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