________________ Shri Yabsyi Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyaradir बृ.वे. आदौचतुष्पादतलेचकृत्वाहिनाभिदेशेमुखमंडलैकम्॥ सर्वांगदेशेषुवसप्तवारत रा.प. थार्तिकंभक्तजनैस्तुदेयम् ॥१४॥सर्वैश्ववैष्णवैमैत्रैःकुर्यात्पुष्पांजलिंतथा।प्रणमे / चततोष्टांगंभत्क्याविष्णोनिवेदयेत् // 19 // स्तवैउच्चावचैस्स्तोत्रैःपौराणैःप्राकृत / रपी॥ स्तुत्वाप्रसीदागवन्नितिदेतदंडवत् // 16 // शिरोमत्पादयोःकृत्वाबाहु भ्यांचपरस्परं। प्रपन्नंपाहिमामीशभीतंमृत्युग्रहार्णवात॥३७॥पद्भ्यांकराभ्यांजानु / भ्यामुरसाशिरसातथा॥मनसावचसादृष्टयाप्रणामोष्टांगउच्यते॥१८॥प्रसार्यबा हूपादौचबद्धनांजलिनासह // स्तुवंस्तुतिभिरेवंतुप्रणामोदीर्घउच्यते॥१९॥ अग्रेपृष्ठेतथावामेसमीपेगर्भमंदिरे॥ जपहोमनमस्कारंनकुर्यात्केशवालय॥२०॥ वस्त्रप्रावृतदेहस्तुयोनरःप्रणमेत्तुमां // स्त्रीत्वंतुजायतेमूर्खःसप्तजन्मनिभामिनि 44 // 21 // एकहस्तप्रणामंचएकांचैवप्रदक्षिणाम् // अकालेदर्शनंविष्णोर्हतिपुण्यं / / For Private And Personal