________________ Shri sti Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri sendir प्राणायामंत्रयंकृत्वापश्चान्यासंसमाचरेत् // ॥तथाच // // कनिष्ठानामि रा.प. कांगुष्ठर्नासाग्रंकरपीडन॥ॐकारमुद्रासाप्रोक्तायतेश्चब्रह्मचारिणः।।॥पंचांगुली भिर्नासाग्रपीडनंप्रणवेविधौ // मुद्रेयंसर्वपापघ्नीवानप्रस्थगृहस्थयोः // 2 // अथकुशपवित्रधारणविधिः॥ ॥अंगुल्यग्रेतपोवृद्धिर्मध्येचायुश्चसंश्रियःril मूलेकर्मविनाशःस्यात्तस्मान्मूलेनधारयेत् // 3 // ॥अथआचमनविधिः॥त दुक्तंहारीते॥ ॥आचम्यातःपरंमौनीप्राङ्मुखोवाप्युदङ्मुखः॥ नामभिः || शवाद्यैश्चयथासंख्यमुपस्पृशेत् // 1 // हिराचम्यंतुसर्वत्रविण्मत्रोत्सर्जनेत्रयं // पवित्रपाणिराचम्यपश्चात्संध्यांसमाचरेत् // 2 // ॥संध्याभाष्ये // // गोक कृतिहस्तेनमाषमात्रंजलंपिबेत् // तन्यूनमधिकंपीत्वासुरापानसमंभवेत॥३॥ अंगुष्ठानसमाकुंच्यमध्यमामध्यपर्वणि // गोकर्णतद्धिविज्ञेयंसर्वेष्वाचमनेष्वि For Private And Personal