________________ Shri Mawavi Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Perandir बृ.वे.॥ तस्मिन्नवम्यांशुक्केतुनक्षत्रेदितिदैवते // तत्रजातोजगन्नाथोराघवःपुरुषोत्तमः रा.प. // 12 // // ज्योतिर्निबंधे॥ ॥चैत्रेमेषेसितेपक्षेनवम्यांतुपुनर्वसौ॥ मध्या कर्कटेलग्नेजातोरामस्स्वयंहरिः॥१३॥ ॥ब्रह्मरहस्येब्रह्मनारदसंवादे॥ तत्रजागरिता केचित्केचिद्यानविमोहिताः॥ जपेकेचिच्चक्किश्यतिनैवजानंति तारकम् // 14 // ब्रह्मांडानामसंख्यानांब्रह्मविष्णुहरात्मनाम् // उद्भवेप्रलयेहे , तूरामएवइतिश्रुतिः // 19 // सृष्टिस्थित्यंतकरणेब्रह्मविष्णुमहेश्वराः॥ यस्या युतायुतांशांशायत्तद्ब्रह्मविधीयते // 16 // सहस्रकोटियेसंतिब्रह्मांडास्तिर्यगूर्व गाः॥ ब्रह्माणोहरयोरुद्रास्तत्रतत्रव्यवस्थिताः॥१७॥ मनुस्मृतौ॥ ॥सप्तको टिमहामंत्राश्चित्तविभ्रांतकारकाः॥ एकएवपरोमंत्रोरामइत्यक्षरद्वयम् // 18 // // पाने॥ // ब्रह्मविष्णुमहेशाद्यायस्यांशालोकसाधकाः // तमादिदेवंश्रीरा For Private And Personal