________________ Shri M r Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri handir नाथचरणचिन्हस्तोत्रम् // एवमेव अन्यैश्चप्रातःस्तवादिभिःश्रीरघुना / रा.प. थंसंस्मरेत् // अथश्रीमद्रामचंद्रस्यपरमात्मत्वंनिरूप्यते॥तथाचहिरण्य गर्भसंहितायां॥ ॥सशेषोशंखचक्राभ्यांदेवैर्ब्रह्मादिभिस्सह॥त्रेतायांचदाश रथिर्भूत्वानारायणोभुवि // 1 ॥शेषोभूलक्ष्मणोलक्ष्मीर्जानकीशंखचक्रके॥ जातौभरतशत्रुघ्नौदेवास्सर्वेऽपिवानराः॥२॥ रामानुजनाप्य॥ // रकारा रामस्सगुणपरमैश्वर्यजलधिर्मकारार्थोंजीवस्सकलविधिकैंकर्यनिपुणः / तयो / मध्याकारोयुगलमथसंबंधमनयोरनन्याहब्रूतेत्रिनिगमसरूपोऽयमतुलः॥३॥ जीवानश्रीरमयत्यसौत्रिजगतांस्वानन्दकारीवपुस्तस्मैसद्विभवेकरोमिशरणंत स्यामहंदेहभृत् // तत्कैंकर्यप्रयोजनममसदामंत्रेचतुर्थ्यानम इत्येवप्रतिपाद्यते 16 ऽत्रमनुनाह्यर्थस्तुवेदात्मकः // 4 // // तथाच॥ // मत्स्यःकर्मोंवराहोनरह For Private And Personal