________________ Shri Mehevig Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri pinindir Acharya Shri Kalashsagarsuri Kim8 // गुरुरेवपराविद्यागुरुरेवपरागतिः॥ यस्मात्तदुपदेष्टासौतस्माद्गुरुतरोगुरुः // 19 // आचार्यस्तुहरिःसाक्षाच्चररूपीनसंशयः // नमर्त्यबुद्ध्यासेवेतसर्वदे वमयोगुरुः // 20 // इत्युक्तेनप्रकारेणहदिलक्ष्मणदेशिक // उपायश्चाप्युपेय श्वगुरुरेवेतिभावय॥२१॥ इतिगुरुमाहात्म्यम्॥ ॥अथशिष्यलक्षणंगुरुध्या नपूर्वकं॥ ॥ब्रह्मरंध्रस्थितेपद्मेसहस्रदलशोभिते॥श्रीगुरुपरमात्मानंसहस्रादि त्यसन्निभम्॥१॥ द्विनेत्रंद्विभुजंचैवध्यायेदखिलसिद्धिदम्॥किरीटकुंडलवनमा लाज्ञानमुद्रोपशोभितम् // 2 // कर्मणामनसावाचासदाआराधयेद्गुरुं // दीर्घ दंडवन्नमस्कृत्यनिर्लज्जोगुरुसन्निधौ // 3 // सप्तसागरपर्यंततीर्थस्नानादिकंफल म् // गुरोरंब्रिजलंबिंदुस्तकोट्यंशेनदुर्लभम् // 4 // गुरोःपादोदकंपीत्वागुरो रुच्छिष्टभोजनम्॥गुरोर्मूर्तेःसदाध्यानगुरोर्मत्रंसदाजपेत॥५॥ ॥तथाचतंत्र॥ For Private And Personal