________________ Shri H eyir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyomandir कृत्वाध्यायेत्सदारामंभवबन्धविमुक्तये ॥३॥प्रातः शुद्धतनुर्भूत्वाशौचादिभिर तंद्रितः // विविक्तदेशमाश्रित्यध्यानपूजांसमारभेत् // 4 // नाभिकंदसमुद्भूत कदलीकुसुमोपमम्।।अष्टपत्रंस्निग्धवर्णध्यायेद्धृदयपंकजम्।।५॥ तत्परामनाम्नै वफुल्लंकृत्वास्यमध्यमे // भावयेत्सूर्यसोमाग्निमण्डलान्युत्तरोत्तरम् // ६॥त स्योपरिन्यसेदिव्यंपीठंरत्नमयोज्ज्वलम् ॥तन्मध्येराघवंध्यायेत्कोटिसूर्य्यसमा प्रभम्॥७॥इन्दीवरनिभशांतंविशालाक्षसुवक्षसं॥उद्यद्दीधितिमद्भासकुंडला भ्यांविराजितम् // ८॥सुनासंसुकिरीटंचसुकपोलंशुचिस्मितम् // विज्ञानमुद्रा द्विभुजंकम्बुग्रीवंसुकुंतलम् // 9 // नानारत्नमयैर्दिव्यैहीरैर्भूषितमव्ययम् // विद्युत्पुंजप्रतीकाशवस्त्रयुग्मधरंहरिम् ॥१०॥वीरासनस्थंसंतानतरुमूलंनिवा सिनं // महासुगंधलिप्तांगंवनमालाविराजितम् // 11 // वामपार्थेस्थितांसी For Private And Personal