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वर्णनपर
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वर्णिका
प्रशंसा, स्तुति।
जाती है। ० वक्तव्य, उक्ति, विचार।
सम् अर्धसम विषम वर्णनपर (वि०) वर्णनपरक, वाचक, विवेचक। (सुद०१/४६) इन्द्रवज्रा, भुजंगप्रपात
देशादे पतेश्च वर्णनपरः सर्गोऽयमद्योऽनकः। (सुद० १/४६) यगण, मगण, तगण, रगण, जगण, वर्णनीय (वि०) प्रशंसनीय, अक्षरांकन से युक्त। (जयोवृ० भगण, नगण, सगण युक्त छन्द। १/२९)
वर्ण व्यवस्थितिः (स्त्री०) वर्ण व्यवस्था, वर्णविभाग। वर्णपदं (नपुं०) अक्षरमाला।
वर्णशिक्षा (स्त्री०) वर्णमाला, की शिक्षा, लिपिज्ञान, अक्षरज्ञान। वर्णपातः (पुं०) अक्षरलोप।
वर्णसंकरः (पुं०) अर्न्तजातीय विवाह के कारण उत्पन्न वर्ण। वर्णपुष्पं (नपुं०) पारिजात का फूल।
(हित० २४) यदि जन्म संस्काराभ्यां, कौलीन्यमिति कथ्यते। वर्णपुष्पकः (पुं०) पारिजात पुष्प।
नादीणां किल संस्काराभावातः काऽस्य संगति।। (हित० वर्ण प्रकर्षः (पुं०) रंगों की महनीयता।
२३२ श्लोक ७२) वर्णप्रसादनं (नपुं०) अगर की लकड़ी।
०वर्णों का सम्मिश्रण। वर्णप्रेमिन् (वि०) सौंदर्य का इच्छुक।
वर्णसंघातः (पुं०) वर्णमाला। वर्णभङ्गिन् (वि०) वर्णभेद वाला। (वीरो० १७/२८) वर्णसार्य (वि०) वर्ण मिश्रित। (जयो० ३/८०) वर्णमातृ (स्त्री०) कूचिका, कूची।
वर्णाङ्कः (पुं०) लेखनी, कलम। ०लेखनी, निर्झरणी, प्रसादिनी।
वर्णागमः (पुं०) वर्गों का जोड़ना। ०अक्षर समागम। प्रमार्जनी।
सन्धि। बर्णमातृका (स्त्री०) भारती, सरस्वती।
वापसदः (पुं०) जातिच्युत। वर्णमाला (स्त्री०) अक्षरमाला। (जयो० १२/३७) वर्णनां | वर्णापेत (वि०) जातिशून्य। माला-वर्णक्रमा (जयोवृ० १/४८)
वर्णाश्रमः (पुं०) विविध आश्रम, ब्रह्मचर्याश्रम, गृहस्थाश्राम, वर्णमालाक्रमः (पुं०) अक्षरमाला के वर्ग का क्रम। (जयो० वानप्रस्थाश्रम और संन्यासाश्रम। (जयो०० २/११८) १/४८)
वर्णी-गेहि-वनवासि-योगी। (जयो०वृ० २/११८) वर्णयोगः (पुं०) सौंदर्य का संयोग। ०अक्षर संयोग।
०आर्यप्रवृति, सुन्दर। (जयो०वृ० ११/६) वर्णराशिः (स्त्री०) अक्षर माला।
वर्णाश्रमपद्धतिः (स्त्री०) समान वर्ण व्यवस्था। वर्णवर्ति (स्त्री०) तूलिका, कूची।
आसावर्ण विवाहश्च प्रभवत्यार्षसम्मतः। वर्णवर्तिका (स्त्री०) कूची। तूलिका।
समाचारविचारेद्धाऽतो वर्णाश्रमपद्धतिः।। वर्णलोपः (पुं०) अक्षरलोप। (जयो० १/३०)
(हित० सं० १९) विस्तार के लिए हित सम्पादक हिन्दी वर्णलोपवती (स्त्री०) वर्णलोप ।
पृ० १९। वर्णविधिः (स्त्री०) वर्णस्थापना।
वर्णिकछन्द (पुं०) वर्णवृत्त, यगण, मगण आदि गण युक्त नक्षत्ररीतिरधुना नभसो न भाति,
काव्य रचना। जात्या वृत्तेनापि लसन्तो. गुप्तोऽप्युलूकतनस्य तथा सजातिः।
सालंकारतया खलु सन्तौ। विप्राप्तवंसदनतो नरपामरत्वं,
सार्द्धविरामायच्च जम्पती, केषाञ्चिदुद्धरति वर्णविधेर्महत्त्वम्।। (जयो० १८/५०)
श्रीछन्दसी गुणेन सम्प्रति।। वर्ण विलासिनी (स्त्री०) हल्दी, हरिद्रा।
(जयो० २२/८१) 'वृत्तेनेति मात्रिक छन्दो जातिर्वर्णिक वर्णविलोडक (वि०) अक्षरों की चोरी करने वाला, साहित्यक छन्दश्च वृत्तमिति। (जयो०वृ० २२।८१) चोर।
वर्णिका (स्त्री०) लेखनी, कमल. निर्भरणी। १. कची, वर्णविशेधिनी (स्त्री०) संशोधकत्री। (जयो० १२/९६)
तूलिका। रंगलेप। वर्णवृत्तं (नपुं०) वर्णिक छन्द, जिसमें वर्गों की गणना की स्याही, मसि।
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