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वनिताकथा
९२९
वन्ध
स्त्री, महिला।
आराधना करना, पूजा करना, प्रशंसा करना, स्तुति पत्नी, गृहिणी, गृहस्वामिनी, पतिपरायण स्त्री, कान्ता। करना। (जयो०वृ० १/११२) (दयो० १/८) योषिता (जयो० ३/६५) वन्दकः (पुं०) [वन्द्+ण्वुल] प्रशंसक, चारण, भाट, स्तुतिकर्ता। वनिताकथा (स्त्री०) स्त्री सम्बंधी कथा, स्त्रियों के विषय में ०पूजक, अर्चक, स्तुतिकर्ता। चर्चा।
वन्दनं (नपुं०) [वन्द्+ल्युट्] ०नमन, प्रणाम, नमस्कार। वनिताक्षणी (पू०) श्री लक्षणा। (जयो० ३/३) वनिताविलास। ०अभिवादन, प्रणाम, स्तुति।
वनिता स्त्रियस्तासां क्षणो विलासविभ्रमादिलक्षण। ०आराधना, अर्चना, गुणानुवाद। (जयो० ३/३)
प्रशंसा, कीर्तन। वनिताजनः (पुं०) स्त्री समूह।
वन्दनमाला (स्त्री०) वन्दनवार, स्वागत द्वार। (जयो०१४/२३) वनिताद्विष् (पुं०) स्त्री से घृणा करने वाला।
वन्दन वारण, मत्तवारण (जयो० १०/४७) वनिताधामं (नपुं०) गृहिणीकक्ष।
वन्दनमालिका देखो ऊपर। वनितानन्द (वि०) स्त्री सम्बंधी आनन्द।
वन्दनवारः (पुं०) मत्तवारण। (जयो० ३/८१) वनितानूपुरः (पुं०) स्त्री के नुपूर।
वन्दना (स्त्री०) पूजा, स्तुति, आराधना। 'वन्दना त्रिशुद्धि वनितापादः (पुं०) स्त्री के पैर।
द्वयासना चतु:शिरोऽवनति, द्वादशावर्तना। (त०वा० ६/२४) वनितामोदः (पुं०) स्त्रियों में आमोद।
साधुओं के छह आवश्यक कर्म में तीसरा आवश्यक वनितालावण्यः (पुं०) स्त्रियों की छवि।
कर्म। वनितास्नेहः (पुं०) स्त्रीप्रेम।
आवर्त पूर्वक सिर झुकाना। वनितासौन्दर्य (वि०) स्त्रियों का सौंदर्य।
०कायोत्सर्ग पूर्वक नमन। वनिन् (पुं०) [वन+इनि] वृक्ष, तरु।
तीर्थकर स्तवन। सोमलता।
वन्दनार्थ (वि०) पूजनीय। (जयो० १/७९) अर्चनार्थ। वानप्रस्था
(समु०५/३१) वनिष्णु (वि०) [वन्+इष्णुच्] मांगने वाला, याचना करने | वन्दनी (स्त्री०) पूजा, अर्चना, आराधना, स्तुति। वाला।
वन्दनीय (वि०) प्रशंसनीय, प्रणम्य योग्य, सत्कार योग्य। वनी (स्त्री०) [वन ङीष्] जंगल, अरण्य, गुल्म, झुरमुट। __(हित० १८) वनीजनी (स्त्री०) वनिता, स्त्री। (वीरो० ६/१३) ।
वन्दनीया (स्त्री०) हरताल, गौरोचना। वनीयकः (पुं०) [वनि याचनामिच्छतिवनि+क्यच्+ण्वुल] | वन्दा (स्त्री०) [वन्द्+अच्+टाप्] भिक्षुणी, सन्यासिनी, आराधक। भिक्षुक, साधु।
(भक्ति०७) वनेकिंशुकः (पुं०) जंगल में किंशुक।
वन्दारु (वि०) [वन्द्+आरु] श्रद्धालु, विनीत, शिष्ट। वनेचर (वि०) जंगल में रहने वाला।
वन्दित (भू०क०कृ०) [वन्द्+क्त] आराधित। (जयो० १२/१) वनेचरः (पुं०) वनवासी।
पूजित, अर्चित, प्रशंसित। तपस्वी, सन्यासी।
वन्दित्वा (सं०कृ०) [वन्द्+क्त्वा] पूजकर, स्तुति करके। ०वन्यपशु।
(वीरो० ५/६) ०वनदेवता, वनमानुष, पिशाच।
वन्दिन् (पुं०) [वन्द्+इन्] स्तुति गायक, चारण, भाट। ०अरण्यजाति, शवर, भील।
वन्दी (वि०) [वन्दि+डीष्] बन्दीगृह। वनेज्य: (पुं०) आम की जाति।
वन्दीपालः (पुं०) काराध्यक्ष, जेलर। वन्द् (सक०) प्रमाण करना, वन्दना करना, नमन करना। | वन्द्य (वि०) [वन्द्+ण्यत्] पूज्य, सत्कार योग्य, माननीय,
(सम्य० ५८) भूरा जी शान्तये वन्दुितुं पादौ लगतु विरागभृतः सम्मानीय, प्रशंसनीय, नमस्करणीय। (सुद० ५/३) 'वन्दे तमेव सततम्' (सुद० ९८)
०स्तुत्य, श्लाघ्य, प्रशंसा का पात्र।
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