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रोचना
९०१
रोषः
रोचना (स्त्री०) [रोचन+टाप्] सुंदर स्त्री।
रुचिकरी। (जयो० ३/६३)
उज्ज्वल आकाश, स्वच्छ अन्तरिक्ष। रोचनकारक (वि०) रुचिकर। (जयो०१/२०) (सुद० १२७) रोचमान (वि०) [रुच्+शानच्] उज्ज्वल, स्वच्छ, साफ।
कान्तिमान, प्रभावान्। रोचित (वि०) रुचिकर, प्रिय। रोचिष्णु (वि०) [रुच्+इष्णुच्] चमकीला, उज्ज्वल, चमकदार।
देदीप्यमान। प्रफुल्लवदन।
क्षुधावर्धक। रोचिस् (नपुं०) [रुचे: इसिः] प्रकाश, आभा, कान्ति, प्रभा। रोदनं (नपुं०) [रुद्+ल्युट्] रोना, (जयो० १/११) क्रंदन |
करना। (जयो० १४/६१, दयो० १६) रोदस् (नपुं०) [रुद्+असुन्] आकाश और पृथ्वी। रोदित (वि०) कलकलकरण। (जयो० १८/४५) रोधः (पुं०) [रुध्+घञ्] अवरोध, गतिरोध, बाधा, विघ्न।
(मुनि०३) ०दबाना, प्रतिबन्ध लगाना. पकड़ना, रोकना। (सुद०९२)
०बन्द करना, घेरना। रोधनः (पुं०) [रुध्+घञ्] बुधग्रह। रोधनं (नपुं०) [रुध्+ल्युट्] रोकना, ठहराना।
निरोध, अवरोध, गतिरोध, नियंत्रण, बाधा। रोधकरणं (नपुं०) निरोध करना, रोकना। (सुद० ९२) रोधवशः (पुं०) रोध का कारण, अवरोधवश। (सुद० १३३)
गतिरोधवशेनासावेतस्योपरि रोषणा। (सुद० १३३) रोधस् (नपुं०) [रुध्+असुन] ०बांध, पुल, तटबन्ध।
किनारा, ऊंचा गतिरोधा रोधः (पुं०) [रुध्+रन्] लोध्रवृक्ष। रोधं (नपुं०) पाप, अपराध, क्षति। रोपः (पुं०) उगाना, बौना, रोपना! ___ पौध लगाना।
छिद्र, गह्वर। रोपणं (नपुं०) रोपना, उगाना।
०जमाना, उठाना।
पौंध लगाना। रोमकः (पुं०) रोम नामक नगर। रोमकूपः (पुं०) चमडी के ऊपर छिद्र।
रोमकेशरं (नपुं०) चंवर, मुरछल। रोमगर्तः (पुं०) रोम छिद्र। रोमन् (नपुं०) रोम, शरीर के छोटे-छोटे बाल। रोमन्थः (पुं०) जुगाली, चर्वण। रोमपङ्क्तिः (स्त्री०) लोमाली। (जयो० १६/८२) रोमपुलकः (पुं०) हर्षातिरेक, रोंगटे खड़ा होना। रोमभार (पुं०) रोमाञ्चपन। (वीरो० १२/४५) रोमभूमिः (स्त्री०) बालों का स्थान। रोमरन्धं (नपुं०) रोमकूप। रोमराजिः (स्त्री०) रोमावली। रोम समूह। रोमलता (स्त्री०) रोम समूह। रोमविकारः (पुं०) पुलक, रोमाञ्च। रोमविक्रिया (स्त्री०) पुलक, रोमाञ्च। रोमविभेदः (पु०) पुलक, रोमाञ्च, हर्ष। रोमहर्षः (पुं०) रोमों का खड़ा होना। रोमहर्षणः (पुं०) बहेडा, विभीतक। (जयो० २१/३५) रोमाङ्कः (पुं०) ०रोम चिह्न। रोमाणी (वि०) रोमाञ्चित, हर्षित। (वीरो० १५/१४) रोमाञ्चः (पुं०) हर्ष, खुशी, पुलक, आनंद। (जयो० ३/८३) ___ 'सूचीव रोमाञ्चततीप्यहो सकृत्' (वीरो० ९/२०)
अञ्चन (जयो०१० ३/३४) रोमाञ्चकारिणी (वि०) रोमाञ्च को उत्पन्न करने वाली.
आनन्दकारिणी। 'यत्कथा खलु धीराणामपि रोमाञ्चकारिणी। रोमाञ्चनं (नपुं०) आनंद, खुशो, पुलकभाव। (जयो० २२/२१) रोमाञ्चनतः (वि०) रोमाञ्चकारी। (सुद० ७९) रोमाञ्चभर (वि०) हर्ष से परिपूर्ण, आनन्द युक्त। (जयो०१८४८) रोमाञ्चित (वि० ) हर्षित, अंकुरित। (जयो० ३/९३) पुलकित
उत्कण्ठित। (जयो०वृ० ११८९) रोमावली (स्त्री०) रोमपंक्ति. रोमराजि। ( वीरो० ३/२१) रोमोद्गम (वि०) परिपुष्ट। (जयो०१० १०/६०) रोरुदा (स्त्री०) [रुद्+यङ्+अ+टाप] प्रचण्डक्रदन, अत्यन्त
विलाप। रोलम्बः (पुं०) [रो+लम्ब्+अच्] भौंरा, भ्रमर। रोलम्बकुलः (पुं०) षट्पद समूह, भ्रमरसमूह। रोलम्बः षट्पदो
भृङ्गश्चञ्चरीकोऽलिरित्यापि' इति कोष (जयो० १४/६४) रोषः (पुं०) [रुष्+घञ्] कोप, क्रोध, गुस्सा। (सुद० २/४७)
जनेषु वा रोषमितेऽपि भूपे। (सुद० १०७) क्रोधनस्य पुंसूक्तीव्रपरिपणामो रोषः। (नि०स०७०६)
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