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राज्यभङ्गः
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रामदत्ता
राज्यभङ्गः (पुं०) राजसत्ता का विनाश।
राद्ध (भू०क०कृ०) [राध् कर्तरि कर्मणि वा क्त] आराधित। राज्यभारः (पुं०) शासन का उत्तरदायित्व।
कार्यान्वित, सम्पन्न, निष्पन्न। राज्यभितः (पुं०) राज्यशासन, शासन का उत्तरदायित्व। (दयो०८) प्रसादित। राज्यमोदः (पुं०) राज्यसत्ता का प्रयत्न।।
०अनुष्ठित। राज्य व्यवहारः (पुं०) प्रशासन, शासकीय कार्य।
सफल, सौभाग्यशाली, प्रसन्न। राज्यसम्मतः (पुं०) शासन से मान्य। (दयो० १७)
०पकाया हुआ, रांधा हुआ। राज्यसिंहासनं (नपुं०) ०शासनासन, राजसत्ता का पद। | राध् (सक०) प्रसन्न करना, खुश करना। (दयो०८)
०अनुष्ठान करना, निष्पन्न करना। राज्याङ्गं (नपुं०) प्रभुसत्ता का अधिकार।
०प्रस्तुत करना, तैयार करना। राज्यापहरणं (नपुं०) राज्य छीनना।
नष्ट करना, समाप्त करना। राज्यार्ध (वि०) अर्ध राज्य। (दयो० १०८)
०क्षय करना, विघात करना। राढा (स्त्री०) आभा।
०उखाड़ना, उन्मूलन करना। राट् (पुं०) राजा। (सुद० ७८) 'नृराडास्तां विलम्बेन' (सुद०७८)
राध् (अक०) सफल होना, समृद्ध होना, तैयार होना। रात्रिः (स्त्री०) [रातिं सुखं भयं वा, रा+त्रिप्] रजनी, रात्रि
०आराधना करना। (जयो० २/४१)
राधा (स्त्री०) ०समृद्धि, सफलता, गोपिका। राज नाम रात, पुरोष। (सम्य० १/१)
विशेष। निशा-'रात्रिः स्वतो घोरतमो विधात्री' (भक्ति० २५)
राधाकृष्णः (पुं०) राधा और कृष्ण। (जयो० ६/२०) ०प्रदोषभाव। (जयो० १५/२१)
राम (वि०) [रम् कर्तरि घञ्, ण वा] ०प्रिय, इष्ट, सुहावना। अन्धकार पूर्णा तमिस्रा। (जयो० ३/८७)
(जयो०वृ० २/१४८) रात्रिकरः (पुं०) चन्द्र, शशि।
सुंदर, अभीष्ट, मनोरम, रमणीय। (जयो० १५/६६) रात्रिंचरः (पुं०) निशाचर, चोर, डाकू।
मलिन, धूमिल, काला। ०आरक्षी, पहरेदार।
रामः (पुं०) [रम्+घञ्] राम, दशरथ पुत्र। (जयो० १५/६६) पिशाच, भूत-प्रेत, बेताल।
(सम्य०६२) (जयो० १७/५९) रात्रिचर्या (स्त्री०) रात्रि में भ्रमण।
०जमदाग्नि पुत्र, परशुराम। रात्रिजं (नपुं०) तारा, नक्षत्र।
०वसुदेव पुत्र बलराम। 'सती सीतेव रामस्य यया भाति रात्रिजलं (नपुं०) ओस।
भवानमा' (सुद० ४/३७) रात्रिजागरः (पुं०) रात्रि में जागना।
०शुद्धात्मा, काम की सम्पदा से रहित। (जयो० १६/३) रात्रितरा (स्त्री०) अर्धरात्रि।
परमात्मा। रात्रिंदिवं (नपुं०) अहोरात्र्य। (जयो० १८/५)
रामगत (वि०) सौंदर्य को प्राप्त। रात्रिपुष्पं (नपुं०) कुमुदिनी।
रामचन्द्रः (पुं०) दशरथपुत्र राम, कौशल्या नन्दन. रघुवंश का रात्रियोगः (पुं०) निशागमन।
पुरुषोत्तम पुरुष राम। (दयो० ८) रात्रिरक्षः (पुं०) अन्धकार।
रामठः (पुं०) हींग। रात्रिवायस् (नपुं०) अन्धकार।
रामणीक (वि०) सौंदर्य। (जयो०७० ३/८६) रात्रिविगमः (पुं०) रात्रि की समाप्ति, दिन का प्रारंभ। पौ रामणीयक (वि.) [रम्+णीय ठञ्] प्रिय, सुंदर, सुखद। फटना।
(जयो० ३/९०) रात्रिवेदः (पुं०) मुर्गा।
रामणीयकं (नपुं०) प्रियता, सौंदर्य। (जयो० १/९०) रात्रिवेदिन् (पुं०) कुक्कुट, मुर्गा।
रामदत्ता (स्त्री०) सिंहसेन की प्रिया। राजीह नाम्रा भुवि रामदत्ता, रात्रिसंचारिन् (पुं०) निशाचर। (वीरो० १८/३६)
निसर्गत: शीलगुणैक सत्ता। (समु० ३/२०) सिंहपुर के आरक्षी।
राजा सिंहसेन की प्रिया रामदत्ता।
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