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सुमनस्ता
११९३
सुमर्मभित्
सुमनस्ता (वि०) विकासवृत्ति। (सुद०८) (सुद० ४/१) सुरकारु (पुं०) विश्वकर्मा। सुमनः समन्वित (वि०) सहृदय युक्त, सर्वतोऽपि सुमनोभिः सुरकार्मुकम् (नपुं०) इन्द्रधनुष। सहृदयैः समन्विताऽऽसीत् (जयो० ३/९)
सुरक्षणम् (नपुं०) सु लक्षण, प्रशस्त लक्षण। (जयो० १/४५) ० पुष्प युक्ता।
सुपदु रक्षाकर। (जयो० २३/४५) सुमनोज्ञा (वि०) अतिशय सुंदरी स्त्री, मनसोऽनुकूला। | सर-क्षणम् (नपुं०) सुराणां देवानां क्षण एव क्षण उत्सवो येषां (जयो० ६/२८)
तथा च। देवोत्सव। (वीरो० २/२२) (जयो० १/४५) . सुमार्गः (पुं०) सुपथ, उत्तम मार्ग। (सुद० ९७)
सुरगिरि (पुं०) सुमेरु। सुमातृ (स्त्री०) श्रेष्ठ जननी। (जयो० ३/८६)
सुरगुरुः (पुं०) बृहस्पति। सुभानिनी (स्त्री०) सौभाग्यवती। (जयो० १२/३५)
सुरग्रामणी (स्त्री०) इन्द्र। सुमान्य (वि०) माननीय, समर्थित। सुमनोभिः पुष्पैः सुमान्यां
सुरङ्गः (पुं०) भीतरी मार्ग, सेंध। समर्थिताम्। (जयो० ११/९०)
___० सुमुख। (समु० २/५) सुमायुध (पुं०) कामदेव। (जयो० २६/४५)
सुरङ्गयुग्मक (वि०) दो सुरङ्ग वाला, सुराख वाला। (समु०२/५) सुमाशयः (पुं०) पुष्प राशि। (वीरो० ६/३०)
सुरत (वि०) अच्छी तरह से लीन। मैथुन। (जयो० ६/९) समिता (स्त्री०) अयोध्यापति की रानी। (समु० ४/२५)
सुरतः (पुं०) [स्त्री-पुरुष मिलन, प्रेमालिंगन] सुमित्रा (स्त्री०) दशरथ पत्नी। ० पद्मखण्ड के वेश्य की पत्नी।
सुरतवारः (पुं०) स्त्री-पुरुष सङ्गम। (वीरो० ६/२८) (समु० १/२९)
सुरत-विचार (पुं०) समागम विचार। (जयो० १४/२) सुमुख (वि०) सुंदर आनन युक्त, रूपवान् मुख। (जयो०
सुरतस्थल (नपुं०) रङ्गस्थल। (जयो०वृ० ६/६८) ४/३७) सुमुखम (पुं०) अकम्पन राजा का एक दूत। (जयो० ९/५८)
सुरताङ्क: (पुं०) सुरत लक्षण सुरतस्याङ्को लक्षणम्। (जयो०
१६/८०) सुमुखिः (वि०) शुभानन, सुदर मुख, प्रियानानी।
सुरताभिसन्धिः (स्त्री०) संगमाभिलाषी। (जयो० २४/३७) सुमुवती (वि०) प्रशस्ति युक्त। (जयो० १५/३९) सुमृद्धरूपिणी (स्त्री०) कोमलरूप धारिणी। (जयो० २१/६)
सुरतार्थिन् (वि०) सुरतस्य रतेरर्थिभिः आराध्या सेव्या (जयो० सुमेधस् (वि०) समझदार, बुद्धिमान्।
१/१९) सुमेरु (पुं०) सुमेरु पर्वत। (सुद० १/११) कनकाद्रीन्द्र-(जयो०५०
सुरताश्रयः (पुं०) निकुञ्ज। (जयो० २१) १२/७४)
सुरतीर्थः (पुं०) हस्तिपुर, हस्तिनापुर। (जयो० २३/६) सुमेरुशीर्षः (पुं०) सेमुरु पर्वत। (वीरो० ४/४४)
सुरतोषकः (पुं०) कौस्तुभमणि। सुमेषः (पुं०) कामदेव। (जयो० ११/३२) (जयो० ११/७६)
सुरदारुः (पुं०) देवदारुवृक्षा सुमेषु
सुरदीर्धिका (स्त्री०) गङ्गा। सुमोच्चयः (पुं०) माला पहनना। (जयो० १२/१३)
सुरदुन्दुभी (स्त्री०) पवित्र तुलसी। सुयवसम् (नपुं०) चरागाह, सुंदर घास।।
सुरद्वियः (पुं०) ऐरावत हाथी। सुयानम् (नपुं०) सुंदर वाहन। (जयो० ५/५८)
सुरद्विष् (पुं०) राक्षस। सुयोधनः (पुं०) दुर्योधन।
सुरद्रि (पुं०) कल्पतरु। (जयो० १/५०) सुयोगः (पुं०) उत्तम योग। (सुद० ४/१०) सर्वयोग (सुद० सुरद्रुमः (पुं०) कल्पवृक्षा (जयो० १३/७६) १/३०)
सुरथः (पुं०) उच्चरथ। (जयो० १३/७) सुयोष (स्त्री०) युवति। (जयो० १४/८)
सुरधनुस् (नपुं०) इन्द्रधनुष। सुरः (पुं०) [सुष्ठु राति ददात्यभीष्टम्-सु+रा+क] अमर, देव। । सुरधूपः (पुं०) तारपीन, राल। (सुद० १/२७)
सुरनिक्नगा (स्त्री०) गङ्गा। ० स्वर। (सुद० १/२७)
सुमनोहर (वि.) अत्यंत प्रिय। (समु० ४/२६) ० सूर्य, ० ऋषि।
सुमर्मभित् (वि०) सुमर्मवेरि। (जयो० २६/४४)
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