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सिंहचन्द्रः
११८४
सिद्धि
सिंहचन्द्रः (पुं०) सिंहसेन राजा। (समु० ४/९) सिंहचिह्न (नपुं०) तीर्थंकर महावीर की पहचान का चिह्न। सिंहनलम् (नपुं०) अञ्जली। सिंहतुण्डः (पुं०) एक विशेष मछली। सिंहदर्प (वि०) शेर की भांति गर्जना। सिंहद्वारः (पुं०) मुख्य द्वार, प्रवेश द्वार। सिंहध्वनिः (स्त्री०) सिंह गर्जना। सिंहनादः (पुं०) सिंह गर्जना। सिंहपुरं (नपुं०) नगर विशेष। (समु० ३/१८) सिंहयशा (स्त्री०) कलिङ्ग देश के राजा खारखेल की रानी।
(वीरो० १५/३२) सिंहराशि (स्त्री०) राशि विशेष। (वीरो० २१/१३) सिंहपुरी (पुं०) बनारस के समीप स्थित एक नगरी। सिंहलम् (नपुं०) ० पीतल। ० बल्क।
० वृक्ष की छाल।
० लङ्काद्वीप। सिंहसेनः (पुं०) एक राजा का नाम। (समु० ३/१८) सिंहली (वि०) लंका निवासी। सिंहसमीक्षणं (नपुं०) सिंहावलोकन। (वीरो० ११/१) सिंहाङ्ग (वि०) सिंहरूप वाला। (वीरो० ११/२०) सिंहाणम् (नपुं०) नाक मल। सिंहावलोकनम् (नपुं०) सिंह की ओर देखना। सिहंवन्नरः (पुं०) सिंह की तरह मनुष्य। (समु० २/३४) सिताश्वः (पुं०) श्वेत अश्व। सिताश्रित (वि०) शर्करायुक्त, शक्कर सहित। (जयो० १६/९) सितासित (वि०) शुक्ल-कृष्ण सहित। (जयो० १५/६१) सितासितः (पुं०) बलराम। सिति (वि०) सफेद। सिताश्वादनम् (नपुं०) मिश्री का आस्वादन। (सुद० १११) सितेतर (वि०) श्वेत के भिन्न काला। सितोद्भवम् (नपुं०) सफेद चंदन। सितोपल: (पुं०) स्फटिक
. पुण्डरीक। (वीरो० ६/४) सितोपला (स्त्री०) मिश्री, चीनी। सिद्ध (भू०क०कृ०) [सिध्+क्त] सम्पन्न, कार्यान्वित, अनुष्ठित।
० प्रख्यात (सुद० २/६) अवाप्त, पूर्ण। ० निर्णीत। ० कृतकृत्य।
० सकल विषय रहित। ० जन्म मरण रहित। ० मुक्त हुआ, अष्ठकर्म रहित हुआ, कर्मकलंकरहित हुआ। • सर्वकर्मविमुक्त।
० भेद विज्ञान से सिद्ध। (सम्य० १०७) सिद्ध (पुं०) सिद्ध प्रभु, अष्टकर्ममुक्त परमात्मा। .
स्वाभाविकज्ञानतया समिद्धाः' (भक्ति० १) सिद्धकूटः (पुं०) सिद्धशिला, सिद्धपर्वत के जिनाश।
(समु०५/२१) सिद्धगति (स्त्री०) जन्म मरण रहित अवस्था। सिद्धजलम् (नपुं०) कांजी। सिद्धनदी (स्त्री०) गंगा। सिद्धपक्षः (पुं०) तर्कसंगत पक्ष, निर्णीत पक्ष। सिद्धप्रभुः (पुं०) सिद्धभगवान्। सिद्धभक्तिः (स्त्री०) आचार्य कुंदकुंद प्रणीत एक भक्ति।
आचार्य ज्ञानसागर की रचना (भक्तिसंग्रह पृ० १) सिद्धयोगिन (पुं०) परमात्मा। सिद्धशिला (स्त्री०) सिद्धालय का स्थान। (सुद० १२२) सिद्धसेनः (पुं०) सन्मति तर्क प्रकरण के रचनाकार। सिद्धसौख्य (वि०) अनुपम सुख युक्त, परम सुख वाला। सिद्धार्थः (पुं०) कुण्डनपुर का शासक, भगवान महावीर के
पिता। (वीरो० ३/२) राजा सिद्धार्थ।
• सिद्धार्थ वृक्ष। (जयो० ६/४१) सिद्धात्मन् (पुं०) परमात्मा, कर्मयुक्त आत्मा। सिद्धान्तः (पुं०) तत्त्व विवेचन, परम तत्त्व निरूपण। सिद्धान्तविरोधिनि (वि०) सिद्धान्त विरोध वाला। (जयो०३/९७) सिद्धान्तशाली (वि०) अभिप्राय धारक। (जयो० ३/७९) सिद्धान्तशास्त्रम् (नपुं०) सिद्धान्तसूत्र। (जयो०वृ० ३/३६) सिद्धालयः (पुं०) सिद्धस्थान। परमस्थान। सिद्धासनम् (नपुं०) सिद्ध स्थान। सिद्धि (स्त्री०) स्वात्मोपलब्धि।
० लोकान्तक्षेत्र। (सम्य० १५) ० मुक्ति। (वीरो० २/२) सिद्धयन्ति निष्ठितार्था भवन्त्यस्यां प्राणिन इति सिद्धिः लोकान्तक्षेत्रलक्षणा:। ० निष्पन्नता, पूर्णता, निष्पत्ति। (जयो० ११/९८) ० कल्याण, शान्ति। ० मुक्ति। (हित० २)
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