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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सन्दर्शनं ११३८ सन्देहः हुआ। सन्दर्शनं (नपुं०) [सम्+दृश् ल्युट] ०अवलोकन, परिलोकन, | सन्दिशत्-प्रकट किया गया। (जयो० २१/२६) ०देखना, ताकना, टकटकी लगाना। सन्दी (स्त्री०) [सम्+दो+ड ङीष्] खटिया, खाट। ०ध्यान। सन्दीपनं (नपुं०) [सम्+डीप्+णिच+ल्युट] प्रज्वलित करना, दृष्टि । सुलगाना। ०दर्शन। सन्दीपनः (पुं०) कामदेव का एक बाण, सन्दानं (नपुं०) [सम्+दा+ल्युट्] ०रस्सी, डोरी, रज्जू। सन्दीप्त (वि.) [सम्+डीप्+क्त] प्रज्वलित किया हुआ, ___शृंखला, बेड़ी, बंधनी। सुलगाया हुआ। सन्दानः (पुं०) गण्डस्थल। उत्तेजित, उद्दीपित। सन्दानित (वि.) [सन्दान+इतच्] बद्ध, आबद्ध, कसा हुआ। ०भड़काया हुआ, उकसाया हुआ। शृंखलित, बेड़ी में जकड़ा हुआ, आवेष्ठित। सन्दुःख (वि०) दु:ख युक्त। (जयो० ४/११३) सन्दानिनी (स्त्री०) [सन्दानं बन्धनं गवां अत्र-सन्दान+ सन्दुष्ट (भू०क०कृ०) [सम्+दुष्+क्त] कलुषित किया हुआ, इनि+ङीप्] गोष्ठ, गोशाला। मलिन किया हुआ। सन्दावः (पुं०) [सम्+दु+घञ्] प्रत्यावर्तन, परिभ्रमण, परावर्तन, दुष्ट, दुर्जन। भगदड़। सन्दूषणं (नपुं०) [सम्+दूष्+णिच् ल्युट्] दोष, दूषण। सन्दाहः (पुं०) [सम्+द+घञ्] दाह, जलन, उष्णता। मलिनता, मल। उपभोगता। ०भ्रष्ट करना, विषाक्त करना। सन्दिग्ध (भू०क०कृ.) [सम्+दिह्+क्त] ०सना हुआ, ढका | संदृश (सक०) देखना, भली प्रकार से अवलोकन करना। (जयो० ६/६०) ०आच्छादित, आवृत। सन्देशः (पुं०) [सम्+दिश्+घञ्] सूचना, समाचार। ०भ्रामक, सन्देहात्मक, अनिश्चितता। (जयो०१४/६६) (दयो० ६२) भ्रान्त ज्ञातव्यपलेश। (जयो० २३/३५) सशंक, सन्देहास्पद, सन्देहयुक्त। आज्ञा, आदेश। असुरक्षित, रहस्य निवेदन। (जयो० २४/९६) विषाक्त। सन्देशनः (पुं०) दूत, संवाहक। (जयो० १८/६२, १८/१०) सन्दिग्धादिग्ध (वि०) सन्दिग्ध और असन्दिग्धपना। (जयो० सन्देशगत (वि०) आदेश को प्राप्त हुआ। १४/६६) शन्देशदायक (पुं०) सन्देश देने वाला, समाचार देने वाला, सन्दिष्ट (भू०क०कृ०) [सम्+दिश+क्त] ०इंगित, इशारा किया सूचक। गया, संकेतित। सन्देशपदं (नपुं०) वृत्त प्रेषण, प्रेम प्रेषण। (जयो० १/६७) निर्दिष्ट। प्रेम परक सूचना। उक्त, वर्णित, कथित। सन्देशवाच् (पुं०) समाचार, वृत्तप्रेषण। ज्ञात, परिज्ञात। सन्देशहरः (पुं०) दूत, संदेशवाहक। ०सूचित। सन्देशिन् (वि०) समाचार देने वाला, वृत्तप्रेषण करने वाला। सन्दिष्टः (पुं०) सन्देशवाहक, दूता (जयो० २३/२८) ०हल्कारा। सन्देहः (पुं०) [सम्+दिह+घञ्] संशय, शंका। सन्दिष्टं (नपुं०) सूचना, समाचार, खबर। संदेहालंकार-जिसमें दो समान वस्तुओं की घनिष्टता के सन्दित (वि०) [सम्+दो+क्त] बद्ध, आबद्ध, जकड़ा हुआ। कारण भ्रान्ति से एक वस्तु को अन्य वस्तु समझ लिया ___ ०शृंखलित, बेड़ी युक्त। जाता है। 'ससंदहेस्तु भेदोक्तौ तदनुक्तौ च संशयः' सन्दिश (वि०) सन्देशदायक। (जयो० २६/२३) (काव्य०१०) For Private and Personal Use Only
SR No.020131
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size23 MB
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