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श्रीकदः
१०९६
श्रीफला
श्रीदेव भूषयति या मम वामभागम्। (दयो० १०९)
नाम। गुण, श्रेष्ठता, बृद्धि, समझ।
'ज्ञियं धरतीति श्रीधर इत्येवमुक्तः' (जयो०वृ० १२/५४) श्रीकदः (पुं०) लक्ष्मी के हाथ। विष्णु।
०श्रीराचार्य-विश्वलोचनकोश कर्ता। (जयोवृ० १/१७) श्रीकर (वि०) शोभा दायक। (सुद० १३६)
श्रीधरपुत्रिका (स्त्री०) अकम्पन राजा की पुत्री सुलोचना। श्रीकरण (वि.) शोभाधारक। (वीरो० ६/२५)
(जयो० ८/६३) श्रीकरणं (नपुं०) लेखनी, कलम, निझरणी।
श्रीधरसन्निवेशः (पुं०) भाण्डागार। (जयो० १/१७) श्रीकशः (पु०) जल से परिपूर्ण कुम्भा (जयो०१५/७१) ०श्री सम्पन्न। श्रीकान्तः (पुं०) विष्णु।
राजा का परिवेश। कुबेर की सम्पन्नता। (सुद० १/३२) श्रीकारिन् (पुं०) बारहसिंहा।
श्रीधरा (स्त्री०) अलकापुरी के राजा दर्शक की रानी। (समु० श्रीखण्ड (पुं०) श्रीखण्ड, एक खाद्य पदार्थ, जो दही एवं ५/२१) धरणी तिलक नगर के राजा आदित्यवेग। सुलक्षणा शर्करा के मिश्रण से बनता है।
दासी की पुत्री, श्रीधरा। (समु० ५/१९) श्रीखण्डं (नपुं०) चन्दन की लकड़ी।
श्री नगरं (नपुं०) श्रीनगर। श्रीगदितं (नपुं०) लघु नाटिका।
श्रीनन्दन (पुं०) राम। श्रीगर्भः (पुं०) विष्णु, तलवार।
श्रीनिकेतनः (पुं०) विष्णु। श्रीगुणः (पुं०) क्षमा गुण। (जयो० १/११३)
श्रीनिवासः (पुं०) विष्णु। श्रीग्रहः (पुं०) पानी पिलाने की कुण्डी।
श्रीपट्टदमहादेवी (स्त्री०) गंगहेमाण्डिमान्धाता की सहधर्मिणी। श्रीधनं (नपुं०) खट्टा दही।
___(वीरो० १५/४४) श्रीचकू (नपुं०) भूमण्डल, भूचक्र।
श्रीपञ्चशास्त्रः (पुं०) हस्त। कल्पद्रुम। (जयो० १/५१) श्रीचक्रपाणि (स्त्री०) भरत चक्रवर्ती का विशेषण। (जयो० श्रीपतिदर्शनं (नपुं०) जिनदर्शन। (जयो० १९/२३)
श्रीपद (नपुं०) गुरचरण। (जयो० २७/१३) श्रीजः (पुं०) काम, इच्छा, वासना।
श्रीपथः (पुं०) राजमार्ग, मुख्य सड़क। (सुद० ३/४०) श्रीजिनः (पुं०) अर्हत् प्रभु। (सुद० ७०)
श्रीपद्मखण्डः (पुं०) एक नगर विशेष। (समु० १/२९) श्रीजिनकृष्णा (स्त्री०) जिनदेव की कृपा। (सुद० ७३) श्रीपर्णं (नपुं०) कमला श्रीजिनामोच्चारणं (नपुं०) जिनदेव के नाम का उच्चारण। श्रीपर्वतः (पुं०) एक पर्वत विशेष। (सुद० ८६) जिनप्रभु का स्मरण।
श्रीपादपः (पुं०) कल्पवृक्ष, फलशाली वृक्ष। (सुद० १/१७ श्रीजिनराजः (पुं०) अर्हत प्रभु। (सुद० २/२३)
भक्ति १३) श्रीछान्दसी (स्त्री०) अनुकूल स्वभावी।
श्रीपाद पपः (पुं०) चरणाविर। (जयो० १/६८) शोभन छंद वाला। (जयो० २२/८१)
श्रीपादपीठः (पुं०) सिंहासन। (जयो० २०/१७) श्रीतिलकः (पुं०) सौभाग्य सूचक तिलक। (जयो० १२/१४) श्रीपिष्टः (पुं०) तारपीन। पुष्प (जयो० १४/२९)
श्रीहिताश्रवः (पुं०) तपस्वी। (समु० ६/३१) श्रीदः (पुं०) कुबेर, धनपति।
श्रीपुष्पं (नपुं०) लवंग। श्रीदत्तः (पुं०) उज्जयिनी का एक सार्थवाह। (दयो० १/२०) श्रीपालः (पुं०) श्रीपाल नामक राजा, जो कुष्ठ रोगी था, बाद श्रीडयितः (पुं०) विष्णु।
में मैनासुंदर की भक्ति एवं सेवा/श्रद्धा से पूर्ण सुंदर हो श्रीदेवादि (पुं०) सुमेरु पर्वत। (सुद० ९७)
गया। (सम्य०६७) श्रीधरः (पुं०) श्रीधर नामक देव। (समु० ४/३६)
श्रीप्रमाणदेवी (वि०) व्याकरणज्ञ। (जयो० ५/५२) विष्णु, ०श्रीधर नामक राजा। (जयो० ७/८८)
श्रीफलः (पुं०) बेल तरु। बिल्ववृक्ष। नारियल (जयो०७० कुबेर (जयो० ३/३०) एतन्नामकः कुबेरः'
१२/१०९) ०श्रीधर नामक राजा। (जयो० ३/३७) अकम्पन का | श्रीफला (स्त्री०) नील का पौधा। आंवला, आमली। आमलकी।
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