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श्यामरुचि
१०९२
श्रद्धालु
श्यामरुचि (वि०० चमक युक्त कालिमा। श्यामल (वि०) [श्याम+लच्] काला, गहरा नीला। (जयो०७०
६/१०७) श्यामलः (पुं०) कृष्णवर्ण, धूर्मवर्ण। (जयो० ७/१०३) काला
रंग। ०काली मिर्च।
भ्रमर, भौंरा।
०बटवृक्षा श्यामलता (वि०) शिलीकृत। (जयो०वृ० १५/११) कृष्णवर्ण
युक्त। श्यामला (स्त्री०) कृष्णा, काला रंग। (जयो०७० ३/५५) श्यामलिका (स्त्री०) नील का पौधा। श्यामवर्णा (वि०) अन्धकार रूपिणी। (जयो०वृ० १५/२७)
तमोमयी। श्यामा (स्त्री०) [श्याम+टाप्] रजनी, रात्रि। (जयो० १५/४८)
स्त्री 'श्यामास्ति शीतकुलितेति मत्वा'। (वीरो० ९/२९) गाय, हल्दी, ०मादा कोयल, प्रियंगुलता। नील का पौधा।
यमुना नदी। श्यामाकः (पुं०) [श्याम+अक्+अण] धान्य विशेष, समा का
___ चांवल। श्यामालिः (स्त्री०) धान्य। श्यामाशयः (वि०) कृष्णपक्ष, कलुष परिणाम। श्यामिका (स्त्री०) [श्याम+ठञ् भावे] कालिमा, कृष्णा।
मलिनता, कृष्णता। श्यामित (वि०) [श्याम+इतच] कृष्ण किया हुआ, काला __ किया हुआ। कलूटा। श्यालः (पुं०) [रयै+कालन्] साला।
०पत्नी का भाई। श्यालकः (पुं०) [श्याल कन्] साला, पत्नी का भाई। श्यालकी (स्त्री०) साली, पत्नी की बहन। श्याव (वि०) [श्यै+वन्] ०काला, गहरा भूरे रंग का, धूसर
धूमल, धुंधला। श्यावः (पुं०) भूरा रंग। श्यावतैलः (पुं०) आम्रतरु। श्येत (वि०) [श्यै+इतच्] सफेद, धवल। श्येनः (पुं०) [श्यै+इतच्] सफेद रंग।
०सफेदी, धवलता।
हिंसा, प्रचण्डता।
बाज, शिकरा। श्येनकरणं (नपुं०) पृथक् शवदाह करना। श्येलकरणिका (स्त्री०) बाज की भांति झपटना। श्येतचित् (पुं०) बाज को पकड़कर बेचने वाला। श्येतनीविन् (पुं०) श्रङ्क (सक०) जाना, फेंकना। श्रङ्गः (सक०) जाना, पहुंचना। श्रण (सक०) प्रदान करना, देना, सौंपना। ग्रहण करना। (मुनि० ११), बिखेरना (जयो० २/१५५)
अर्पण करना। श्रणत (वि०) मुक्त हस्त। (जयो० १२/८७) श्रणनं (नपुं०) दान। (जयो० ९/८२) श्रणनाद (वि०) अंक में गया हुआ। (सुद०३/२१) श्रणता (वि०) पथक। (सुद० ९९) श्रत् (अव्य०) [श्री+डति] उपसर्ग धातु से पूर्व लगने वाला। श्रथ् (सक०) चोट पहुंचाना, घायल करना। ०खोलना, ढीला करना, स्वतन्त्र करना।
मुक्त करना।
०(अक०) प्रयत्न करना, निर्बल होना। श्रथनं (नपुं०) [श्रथ् ल्युट्] मारना, विनाश करना, खोलना।
०प्रयत्न, चेष्टा। ०बांधना।
मुक्त करना। श्रद्धा (स्त्री०) [श्रत्+धा+अङ+टाप]
आस्था, विश्वास, निष्ठा, भरोसा। (जयो०१/६६, जयो०७० १/१६)
आदर, सम्मान, तत्त्वार्थाभिमुखी बुद्धि। (सुद० ७१) ०प्रबल इच्छा, विज्ञातार्थरुचि। (जयो० २/१४८)
शान्ति, मन की स्वस्थता। (जयो० ४/६५)
०दोहद, गर्भशीलता की आकांक्षा। श्रद्धानं (नपुं०) आस्था, विश्वास, रुचि। (सम्य०८२) श्रद्धाविधिः (स्त्री०) सम्मान विधि। (वीरो० २२/१५) श्रद्धापरिणामः (पुं०) समादर, श्रीगुण परिणाम। श्रद्धाभावः (पुं०) समाद भाव। श्रद्धालु (वि०) [श्रद्धा+आलुच्]
निष्ठावान्, सम्मानशील। ०इच्छुक, अभिलाषी। विश्वास करने वाला।
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